डॉ लोहिया की विरासत पर बिहार में जंग : मांझी ने माल्यार्पण किया तो राजद कार्यकर्ताओं ने प्रतिमा धोया, प्राथमिकी

रिपोर्ट: साभार

सुपौल . पूर्व मुख्यमंत्री व जदयू के बागी नेता जीतन राम मांझी ने रविवार को यहां डॉ राममनोहर लोहिया की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया था, जिसके बाद राजद के कार्यकर्ताओं ने इसे धोया. उनका आरोप था कि जीतन राम मांझी का डॉ लोहिया के विचारों से सरोकार नहीं है. ऐसे में उनके द्वारा महान समाजवादी की प्रतिमा पर माल्यार्पण का औचित्य भी नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी द्वारा रविवार को लोहिया नगर चौक स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया की प्रतिमा पर माल्यार्पण किये जाने का छात्र राजद व लोहिया विचार मंच ने विरोध किया. पूर्व सीएम के जाने के बाद लोहिया विचार मंच के प्रमंडलीय अध्यक्ष दुखी लाल यादव व छात्र राजद के अनोज कुमार आर्य के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने डॉ लोहिया की प्रतिमा को धो कर पुन: माल्यार्पण किया. उधर, आज इस मामले में सोमवार को सदर थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. वहीं, मांझी ने कहा कि प्रतिमा को धोने वाले समाजवादी नहीं हो सकते. कार्यकर्ताओं ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री श्री मांझी के विचार राम मनोहर लोहिया के विचारों से भिन्न है. उनके द्वारा लोहिया की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाना इस महापुरुष का अपमान है. विरोध प्रकट करनेवालों में राकेश कुमार, नवीन कुमार, कृष्ण कुमार भार्गव, बाबला कुमार, राजीव कुमार, एस कुमार, मुकेश पासवान, नीरज कुमार यादव, मधुरेंद्र चौधरी, ब्रह्नादेव साह, मनोज सिंह, मो बहादुर आदि शामिल थे. बांटो और राज करो के तर्ज पर चल रहे नीतीश: मांझी जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार अंगरेजों की तरह फूट डालो और राज करो की नीति पर चल रहे हैं. हमने दलित व महादलित को एक कर दोनों को समान अवसर देने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इसे नकार कर फिर से दोनों को बांट दिया. पासवान को महादलित में समाहित करने का फैसला भी रद्द कर दिया गया. नीतीश कुमार नहीं चाहते कि सभी वर्ग एक हों, वह बांट कर राज करना चाहते हैं. जबकि हमने तय कर लिया है कि कोई जाति, धर्म नहीं, बस पूरे समाज में दो ही जाति है. एक गरीब की और एक अमीर की. हमें मुट्ठी भर अमीर नहीं, बल्कि गरीबों के कल्याण के लिए काम करना है. शनिवार को जिला परिषद प्रांगण में पूर्व मुख्यमंत्री सह हिंदुस्तान आवाम मोरचा (हम) नेता जीतन राम मांझी गरीब स्वाभिमान सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जब नीतीश कुमार को विधानसभा में बहुमत पेश करने में संकट में हो रहा था, पहले तो उन्होंने विधायकों को डराया. सदस्यता खत्म करने की धमकी दी और तो और इससे भी बात नहीं बनी, तो नगद नारायण भी पेश किया गया. जोड़-तोड़ कर नीतीश ने सरकार तो बना ली, लेकिन अब वातावरण ऐसा बन गया है कि नीतीश या उसके लोग सत्ता में नहीं आनेवाले हैं. भीड़ से उत्साहित थे मांझी : दो घंटे देर से पहुंचने के बावजूद जुटी व जमी भीड़ से उत्साहित मांझी ने कहा कि हमें बताइए, हमारा क्या कसूर था. इस सवाल का जवाब हमने नीतीश और उनके लोगों से भी पूछा था, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं दे सका. मेरा कसूर इतना था कि मैंने गरीब, पिछड़े व शोषितों के लिए काम करना चाहा, लेकिन उस समय कहा गया कि पैसा नहीं है. यानी जब नीतीश को लगा कि अब तो मांझी उससे बड़ा नेता बन जायेगा, लोग उसे ज्यादा तरजीह देने लगेंगे, तो हमारे काम में अड़ंगा लगाने लगे. गरीब की योजनाओं के लिए पैसे नहीं है और दलाली, कमीशनखोरी में करोड़ों रुपये जा रहे हैं, उसको रोकनेवाला कोई नहीं है. तब हमने निर्णय लिया और 34 निर्णय लागू किया. उन्होंने कहा कि जब पैसा नहीं है, तो नया विधानसभा बनवाने की क्या जरूरत, विधायक आवास को तोड़ कर नया बनाने, 600 करोड़ की लागत से नया पटना म्यूजियम बनाने की क्या जरूरत. इन पैसों से हमारे बच्चे पढ़ेंगे, बढ़ेंगे तो हमारा समाज दस सालों में ऐसे ही परिवर्तन हो जायेगा. हमने स्टीमेट घोटाला उजागर किया, तो हलचल हो गयी. लेकिन, यह सच है कि एक करोड़ का पांच और पांच करोड़ के निर्माण कार्य की लागत को 50 करोड़ बताया जा रहा है. इसके लिये 40 से 50 लाख रुपये खर्च कर कंसल्टेंट लाया जाता है. बिहार के पैसे को पानी की तरह बहाया जा रहा है. हमें तीन-चार महीना और मौका मिलता, तो हम दिखा देते कि खुद के पैसे से विकास कार्य कैसे किया जाता है. छातापुर विधायक नीरज कुमार बबलू की अध्यक्षता में हुए सम्मेलन में पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव, पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह, शकुनी चौधरी, वृषिण पटेल, शाहिद अली, नीतीश मिश्र ने भी संबोधित किया.


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