राज्यसभा से ट्रिपल तलाक बिल पास होने के बाद अब राष्ट्रपति की मंजूरी से बनेगा कानून

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

लोकसभा के बाद राज्य सभा से ट्रिपल तलाक बिल पास होने के बाद भारतीय संसद ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है| इसके साथ ही ट्रिपल तलाक को लेकर अबतक चली आ रही सियासी रस्साकशी पर विराम लग गया है| विपक्ष के कड़े ऐतराज और बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग के बीच तीन तलाक बिल राज्यसभा से पास हो गयाराज्य सभा में ट्रिपल तलाक बिल पर करीब 4 घंटे तक चली बहस के बाद बिल के विरोध में 84 जबकि समर्थन में 99 वोट पड़े| वोटिंग के दौरान ट्रिपल तलाक बिल को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने का मुद्दा जोर-शोर से उठा लेकिन बिल को सिलेक्शन कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव 84 के मुकाबले 100 वोटों से गिर गया। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 2 साल में यह बिल लोकसभा से 3 बार पास हुआ, लेकिन 2 बार राज्यसभा में अटक गया| दरअसल, तीन तलाक बिल 25 जुलाई को लोकसभा में 303-82 मतों के साथ पास हुआ| बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए दोषी को 3 साल की सजा का प्रावधान है|

          तीन तलाक बिल की अहम बातें :

  • तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना
  • तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ़्तार कर सकती है
  • तीन साल तक की सजा का प्रावधान है
  • यह संज्ञेय तभी होगा जब या तो खुद महिला शिकायत करे या फिर उसका कोई सगा-संबंधी
  • मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है. जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा
  • पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है
  • पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है
  • इसकी रकम मजिस्ट्रेट तय करेगा
  • पीड़ित महिला नाबालिग बच्चों को अपने पास रख सकती है. इसके बारे में मजिस्ट्रेट तय करेगा

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगले साल विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ गठबंधन में ही लड़ेंगे. इसका संकेत मंगलवार को तीन तलाक के मुद्दे पर राज्यसभा में जनता दल यूनाइटेड के रुख से मिला. जनता दल यूनाइटेड के राज्यसभा सांसदों के बिल के खिलाफ मतदान से यह बिल खतरे में पड़ सकता था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर ही पार्टी के सभी सांसदों ने बजाय मतदान में बाग लेने के सदन का बहिष्कार कर दिया. इससे केंद्र सरकार को न केवल राहत मिली बल्कि इस बिल के राज्यसभा में पारित होने का रास्ता भी आसान हो गया.

बहस के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘यह (तीन तलाक बिल) लैंगिक समानता और महिलाओं के सम्मान का मामला है। तीन तलाक कहकर बेटियों को छोड़ दिया जाता है, इसे सही नहीं कहा जा सकता।’’ भाजपा सांसद मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सामाजिक कुप्रथा को खत्म करने के लिए हम यह बिल लेकर आए हैं। वोटिंग से पहले जद-यू और टीआरएस ने सदन से वॉकआउट कर दिया। उधर, कांग्रेस के संजय सिंह भी इस्तीफा दे चुके हैं।

यह विधेयक 25 जुलाई को लोकसभा में पहले ही पास हो चुका है। लोकसभा में बिल के पक्ष में 303 और विरोध में 82 मत पड़े थे। तब कांग्रेस, तृणमूल, सपा और डीएमके समेत अन्य पार्टियों ने बिल का विरोध करते हुए वोटिंग से पहले सदन से वॉकआउट किया था।

मोदी सरकार ने इससे पहले बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन से पिछले सप्ताह सूचना का अधिकार विधेयक राज्यसभा में पारित कराया था। तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पास कराने को लेकर भी भाजपा को इन दलों से समर्थन की फिर से उम्मीद है। इस बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है।

 


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