घटे जनाधार से घबराये विपक्ष ने, कृषि सुधार कानून को मुद्दा बनायाः भाजपा

रिपोर्ट: सुशांत पाठक

पटना : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मुख्यालय प्रभारी सुरेश रुंगटा ने कहा कि बिहार में कृषि सुधार विधेयक का विरोध करने वाले दल कांग्रेस व राजद पहले यह बतलायें कि बिहार में एनडीए सरकार द्वारा 2006 में कृषि उत्पाद बाजार समितियों को जो बंद किया गया था,  इसे क्या पुनः जीवित करना चाहते हैं ? पहले यह स्पष्ट करें। जहाँ तक न्यूनतम समर्थन मूल्य का सवाल है तो कांग्रेस अपने साठ साल के शासन काल में समर्थन मूल्य में मामूली वृद्धि कर केवल दिखावा करने का काम किया है। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने का काम मोदी सरकार बनने के बाद ही ढंग से शुरू हुआ है।

मोदी सरकार एमएसपी में लगातार वृद्धि कर रही है, जिसकी एक बानगी गत दिवस भी देखने को मिली। अब 2014 की तुलना में गेहूं की एमएसपी 41 प्रतिशत, धान की 43 प्रतिशत, मसूर की 73 प्रतिशत, उड़द 40 प्रतिशत, मूंग की 60 प्रतिशत, अरहर की 40 प्रतिशत, सरसो की 52 प्रतिशत, चने की 65 प्रतिशत वृद्धि हुई है। यही नहीं 2014 की तुलना में गेहूं और धान की खरीद मात्रा में भी क्रमशः 73 और 114 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।  2009-14 तक कांग्रेस सरकार ने किसानों से मात्र 1.52 लाख मीट्रिक टन दालें खरीदी, वहीं मोदी सरकार ने 2014-19 में 76.85 लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद की । यह 4962 प्रतिशत का फर्क विपक्ष के ढोंग और मोदी सरकार के समर्पण को साफ दर्शाता है।

अपना जनाधार गवां चुकी कांग्रेस देश की जनता को गलत व झुठे बयानों से बरगलाकर दिग्भ्रमित करना चाहती है, लेकिन देश की जनता कांग्रेस के गलत बयानों में फंसने वाली नहीं है । जिसका प्रमाण आगामी विधान सभा चुनाव में पुनः देखने को मिलेगा। बिहार में कांग्रेस की गति 2010 के विधान सभा चुनाव से भी बुरी होने वाली है। जनविरोधी नीतियों के कारण ही जनता ने कांग्रेस को लोकसभा में नकारा था, जिसकी पुनरावृत्ति इस विधान सभा चुनाव में भी देखने को मिलेगी ।    

 


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