भारतीय रेल कोसी और मिथिलांचल के बीच आठ दशक से अधिक समय के बाद एक बार फिर फर्राटा भरेगी| कोसी नदी पर बने रेल महासेतु और सरायगढ़ रेलवे ट्रैक को जोड़ने के बाद अब कोसी क्षेत्र में आवागमन की सुविधा काफी सुगम हो जायेगी| इसको लेकर सरायगढ़ रेलवे स्टेशन पर कार्य अंतिम चरण में है|
रेलवे अधिकारियों ने मोटर ट्रॉली से रेल महासेतु का निरीक्षण करने के क्रम में यह संभावना जताई कि 31 मार्च तक इस रेलवे ट्रैक पर ट्रेन पूरे रफ्तार के साथ चलने लगेगी जिससे यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुँचने में काफी सहूलियत होगी| उल्लेखनीय है कि 1934 में आए प्रलयंकारी भूकंप में कोसी पर बने पुल ध्वस्त हो जाने के कारण रेल मार्ग पूर्णतः बंद हो गई थी. कोसी नदी के कारण मिथिलांचल और कोसी दो भागों में विभक्त कर दिया था.
गौरतलब है कि करीब 17 वर्ष पहले इस रेल महासेतु का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी बाजपेयी ने किया था| इसका निर्माण कार्य पूरा होने में करीब 620 करोड़ रुपए की लागत आई है| पूरे पुल को बनाने में करीब डेढ़ दशक से अधिक समय लग गया जिसकी कुल लंबाई 1.88 किलोमीटर है| नए पुल का स्ट्रक्चर एमबीजी लोडिंग क्षमता के अनुरूप डिजाइन किया गया है| इस रेलखंड के शुरू होने से कोसी वासियों और मिथिलांचल के लोगों में हर्षोल्लास का भाव है|