पाक में तालिबान की कायराना हरकत, 132 छात्रों को चुन-चुन कर मारा

रिपोर्ट: शंखनाद न्यूज़

पेशावर। पिछले दिनों भारत के कैलाश सत्यार्थी के साथ शांति के नोबेल से नवाजी गईं मलाला यूसुफजई के देश पाकिस्तान में मंगलवार को सैकड़ों स्कूली बच्चे मौत के घाट उतार दिए गए। पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल में एक-दो नहीं, बल्कि 132 बच्चों को चुन-चुन कर मार डाला गया। इनके साथ एक अध्यापिका समेत स्कूल के नौ कर्मचारियों की भी नृशंस हत्या की गई। ऐसी कायराना हरकत की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने ली है।जिस जघन्य घटना के लिए पूरी दुनिया के आंसू नहीं थम रहे, उसकी जिम्मेदारी कुबूलते हुए टीटीपी की जुबां जरा-भी नहीं लडख़ड़ाई। उसके छह आत्मघाती आतंकी भी वहीं ढेर हो गए। चार ने जहां खुद को उड़ा लिया, वहीं दो को पुलिस ने मार डाला। तालिबान ने नवाज शरीफ सरकार के वेस्ट वजीरिस्तान में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का बदला इन मासूम छात्रों से लेने की बात कही है। चश्मदीदों की मानें तो कायर आतंकियों ने 20-30 छात्रों को कतार में खड़ा कर-करके सिर में गोली मार दी। वहीं अध्यापिका का पहले गला काटा और फिर छात्रों के सामने ही उसे जला डाला। मारे गए छात्र आठवीं से लेकर दसवीं कक्षा तक के थे।कक्षाओं में जाकर की फायरिंग पेशावर की वारसाक रोड पर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल में मंगलवार की सुबह स्थानीय समय के अनुसार दस बजे अरबी बोलने वाले छह फिदायीन घुसे। अद्र्धसैनिक बल फ्रंटियर फोर्स की वर्दी पहने इन आतंकियों के पास बड़े पैमाने पर हथियार और बम थे। स्कूल के पीछे स्थित कब्रिस्तान के रास्ते घुसे इन हमलावरों ने पांच-छह साल से लेकर 13-14 साल तक के छात्रों पर अंधाधुंध फायरिंग की। हर कक्षा में जाकर छात्रों को निशाना बनाया। मानव ढाल बनाने के लिए सैकड़ों बच्चों और अध्यापकों को घंटों बंधक रखा। आठ घंटे चली मुठभेड़ खत्म पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिम बाजवा ने बताया कि हमले के समय स्कूल में 1100 बच्चे और कर्मचारी मौजूद थे। इनमें 950 से अधिक को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। आतंकी हमले में कुल 147 जानें गई हैं जिनमें 132 स्कूली बच्चे, नौ स्कूल के कर्मचारी और छह आतंकी शामिल हैं। हमले में 130 लोग घायल हुए। आत्मघाती दस्ते में चार आतंकियों के विस्फोट से स्कूल का एक हिस्सा ही ढह गया। आतंकियों से पाकिस्तानी फौज की आठ घंटे चली मुठभेड़ खत्म हो गई। मुठभेड़ खत्म होने से पहले तक स्कूल के प्रिंसिपल समेत 20 शिक्षक और 34 छात्र बंधक थे जिन्हें छुड़ा लिया गया। सेना का बदला बच्चों से लिया आतंकी गुट तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के प्रवक्ता मुहम्मद उमर खोरासानी ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि पेशावर के करीब स्थित उत्तरी वजीरिस्तान में आतंकियों के खिलाफ पाकिस्तानी फौज की कार्रवाई का बदला लेने को आर्मी स्कूल पर हमला किया। वह चाहते हैं कि पाकिस्तानी फौज उनका दर्द महसूस करे। हमला कायराना हरकत: नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आर्मी स्कूल पर आतंकी हमले को बहुत ही कायराना हरकत करार दिया। उन्होंने कहा कि इस भयानक घटना के बावजूद उनकी सरकार तालिबान के खिलाफ सैन्य अभियान जारी रखेगी। हमले के बाद पेशावर पहुंचे शरीफ ने कहा कि ऑपरेशन जर्ब ए अज्ब पाकिस्तान से आतंकवाद को समूचा उखाड़ फेंकने तक जारी रहेगा। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान स्कूल से बाहर आए एक छात्र ने बताया कि हमले के वक्त अधिकांश बच्चे ऑडिटोरियम में थे। स्कूल में परीक्षा भी चल रही थी। उसने बताया कि कैंटिन की ओर से पांच छह लोग आते दिखे। जब तक कोई कुछ समझ पाता, उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। आतंकी एक-एक कक्षा में गए और बच्चों को मारते चले गए। बच्चों ने बताया कि जैसे ही आतंकी घुसे शिक्षक ने हमें सिर नीचे करने को कहा। फिर सेना आई और हम भागे। बाहर निकले तो गलियारे में बच्चे और टीचर घायल पड़े थे। कहीं हमला इसलिए तो नहीं! 1. पेशावर के आर्मी स्कूल को निशाना इसलिए भी बनाया गया चूंकि यहीं से पढ़ कर निकले छात्र वेस्ट वजीरिस्तान में सैन्य अभियान चला रहे हैं। 2. माना जाता है कि इस स्कूल के अध्यापकों की रणनीति के चलते ही करीब के वजीरिस्तान में सैन्य अभियान को सफलता मिली। 3. आर्मी स्कूल को नेस्तनाबूत करके पेशावर के सैन्य अभियान को दूरगामी आघात पहुंचेगा। 4. हमले की वजह मलाला यूसुफजई भी हो सकती हैं। शिक्षा के प्रसार पर गोली खा चुकी मलाला को जब शांति का नोबेल मिला तो तालिबान ने आतंकी हमले की धमकी दी थी। ताकि शिक्षा पर विरोध दर्ज हो। तालिबान के खिलाफ ऑपरेशन जर्ब ए अज्ब पाकिस्तान से आतंकवाद को समूचा उखाड़ फेंकने तक जारी रहेगा। -नवाज शरीफ, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ऐसी क्रूरता भरी हरकत, जिसमें बहुत से बेगुनाह लोगों को मौत के घाट उतारा गया हो, को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री * मेरा बेटा आज सुबह यूनिफॉर्म में था, अब ताबूत में है। मेरा बेटा मेरा ख्वाब था। मेरा ख्वाब मारा गया। -ताहिर अली, मारे गए एक बच्चे का पिता * मेरे बेटे को नकली बंदूक से भी डर लगता था, असली बंदूक देखकर उस पर क्या गुजरी होगी। मार डाला मेरे बच्चे को। - मारे गए एक बच्चे की मां


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