पटना : राहुल गांधी द्वारा बिहार कांग्रेस को 8 महीने में दुरुस्त करने के दिए टास्क पर चुटकी लेते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि राजनीति में इतने साल बिताने और लगातार हार का रिकॉर्ड बनाने वाले राहुल को बिहार में पार्टी की स्थिति का रत्ती भर भी ज्ञान नहीं है. उन्हें मालुम ही नहीं है कि वह जिस पार्टी में जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं, उसका अस्तित्व राजद की बैसाखी पर टिका हुआ है. न तो उनके पास जमीनी नेता बचे हैं और न ही पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ता. इसलिए ख्याली पुलाव बनाने के बजाये राहुल अगर वास्तव में बिहार कांग्रेस को सुधारना चाहते हैं तो उन्हें सबसे पहले अपनी पार्टी को राजद के चंगुल से आजाद करवा कर आत्मनिर्भर बनाना होगा, नहीं तो 8 क्या 80 महीनों में भी बिहार कांग्रेस में कोई बदलाव नहीं आने वाला.
उन्होंने कहा कि राहुल यह जान लें कि उनके नेताओं ने कांग्रेस की बिहार इकाई को राजद के चरणों में समर्पित कर रखा है. उनके कई नेता राजद की कृपा से ही पार्टी में जगह बना पाए हैं, इसलिए उनकी वफादारी कांग्रेस से ज्यादा राजद के प्रति है. उन्हें यह जानना चाहिए कि यहां कांग्रेस पर राजद की पकड़ इतनी मजबूत है कि उसे उखाड़ने के चक्कर में कांग्रेस के कई नेता खुद उखड़ गये. स्थिति यह है कि आज कांग्रेस को मिलने वाले चंद वोट भी उनकी विचारधारा के बजाए राजद की कृपा के कारण मिलते हैं. इसलिए अपने कार्यकर्ताओं को कांग्रेस के सशक्तिकरण का सपना दिखाने से पहले बेहतर होगा कि पहले वह पार्टी को राजद की गुलामी से आजाद करवा लें.
श्री रंजन ने आगे कहा कि राहुल चाहे लाख दावा ठोके लेकिन सच्चाई यही है कि दुनिया का कोई भी नेता बिहार में कांग्रेस की स्थिति नहीं सुधार सकता. दरअसल कांग्रेस को जरूरत एक ठोस नेतृत्व की है, जो वंशवाद के कारण संभव ही नहीं है. जिस पार्टी में नेता बनने की एकमात्र योग्यता किसी खानदान का वारिस या परिक्रमा करने में एक्सपर्ट होना हो, उस पार्टी को संभालना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है.
श्री रंजन ने कहा कि ऐसा नहीं है कि बिहार कांग्रेस के सारे नेता राजद के समर्थन में हैं. उनमे अभी भी कुछ आत्मसम्मान वाले नेता हैं, जो राजद से अलग हो कांग्रेस को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करना चाहते हैं. लेकिन राजद की कृपा से कांग्रेस में जमे हुए नेताओं के सामने उनकी एक नहीं चलती. इसी वजह से आज कांग्रेस में असंतोष बढ़ता ही जा रहा है. आलम यह है कि आज उनके कई दिग्गज नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. आने वाले समय में यह असंतोष और मुखर होगा जिसके कारण अगर बिहार कांग्रेस के दो टुकड़े हो जाए तो किसी को कोई आश्चर्य नही होगा.