पटना : बिहार मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी संघ के चैयरमैन एवं फिस्कोफेड के निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कहा है कि अनुसूचित जनजाति आरक्षण की बात निषाद समाज के लिए हितकर नहीं है|
गौरतलब है कि इस सन्दर्भ में एक दिन पूर्व ही 9 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर राज्य सरकार ने मल्लाह, निषाद (बिंद, बेलदार, चाॅयें, तीयर, खुलवट, सुरहिया, गोढ़ी, वनपर, केवट) एवं नोनिया जाति को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने के लिये अनुशंसा इथनोग्राफिक अध्य्यन रिपोर्ट के साथ जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को भेजी। है|
वर्ष 2015 में राज्य सरकार द्वारा मल्लाह, निषाद (बिंद, बेलदार, चाॅयें, तीयर, खुलवट, सुरहिया, गोढ़ी, वनपर, केवट) एवं नोनिया जाति को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने के लिये अनुशंसा जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को भेजी गयी थी। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने राज्य सरकार को इन जातियों पर इथनोग्राफिक अध्य्यन कराकर रिपोर्ट के साथ अनुशंसा भेजने की माॅग की थी। केन्द्र सरकार की माॅग पर राज्य सरकार द्वारा अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्य्यन संस्थान, पटना से मल्लाह, निषाद (बिंद, बेलदार, चाॅयें, तीयर, खुलवट, सुरहिया, गोढ़ी, वनपर, केवट) एवं नोनिया जाति के संबंध में इथनोग्राफिक अध्य्यन कराया गया। अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्य्यन संस्थान, पटना द्वारा इथनोग्राफिक अध्य्यन कर अनुकूल रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी गयी है।
अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्य्यन संस्थान, पटना द्वारा सौंपी गयी अनुकूल रिपोर्ट के आलोक में मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य सरकार द्वारा मल्लाह, निषाद (बिंद, बेलदार, चाॅयें, तीयर, खुलवट, सुरहिया, गोढ़ी, वनपर, केवट) एवं नोनिया जाति को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करने हेतु अनुशंसा इथनोग्राफिक अध्य्यन रिपोर्ट के साथ जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को प्रेषित की गयी है।
बिहार सरकार द्वारा भेजे गये एथनोग्राफिक अध्ययन रिपोर्ट में निषाद समाज को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित किए जाने के उल्लेख पर ऋषिकेश कश्यप ने नाराजगी जताई है| निषाद समाज के लोगों से आह्वान करते हुए ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि आज भी आपका अंगूठा ही काटा जा रहा है और आपके अंगूठे के बदले दूसरे लोग राजा बन रहे है| अब निषाद समाज के लोगों को ही आगे करके वर्तमान में जो आरक्षण का लाभ निषाद समाज के लोगों को मिल रहा है उसे खत्म करने की साजिश हो रही है!
ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि निषाद समाज की कुल आबादी बिहार में 14% है जबकि पूरे देश में 18% है| वर्तमान में निषाद समाज बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में आता है जिसको 18% सरकारी नौकरी में ,21% न्यायिक सेवा में एवं 18% ठेका में आरक्षण प्राप्त है ,वही अनुसूचित जनजाति में मात्र 1% का आरक्षण है| ऐसे में अनुसूचित जनजाति में शामिल होने की बजाय अनुसूचित जाति में शामिल होने में फायदा है क्यूंकि यहाँ 38MLA(विधायक) 7MP(सांसद) का सीट आरक्षित है वही अनुसूचित जनजाति में 2MLA(विधायक) एवं सांसद के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं है!