खड़गपुर स्टेशन से मेलबर्न तक का सफर

रिपोर्ट: असीत सहाय

टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा के बाद खड़गपुर में उसके दर्जनों साथी खिलाड़ी चौंक गये. मालूम हो कि धौनी ने अपनी पहली नौकरी की शुरुआत यहीं से की थी. उसने 2001 से यहां खड़गपुर रेलवे में बतौर टीसी ज्वाइन किया था. खड़गपुर रेलवे क्रिकेट टीम के कोच सुब्रतो बनर्जी ने कहा कि महि के इस निर्णय से हम दु:खी जरूर हैं, लेकिन इसकी उम्मीद दिख रही थी. श्री बनर्जी ने एक वाक्या सुनाते हुए कहा कि जब महि यहां आया था, तो उसके खेल के प्रति लगन को देखते हुए यहां सभी को अहसास हो गया था कि यह लड़का एक दिन देश का नाम जरूर रोशन करेगा. प्लेटफॉर्म पर टिकट चेक करने के बजाय वह हमेशा सेरसा ग्राउंड पर अपने साथी खिलाड़ियों के साथ खेलता रहता था. साथी खिलाड़ी दीपक सिंह ने कहा कि मही हर तरह के मैचों में भाग लेते रहता था. चाहे वह टेनिस क्रिकेट ही क्यों न हो. उन दिनों यहां टेनिस क्रिकेट बहुत खेला जाता था. महि इतना अच्छा खेलता था कि आसपास की टीम उसे अपनी तरफ से खेलाने के लिए हमेशा तैयार रहते थे. वह एक मैच खेलने के लिए दो हजार रुपये लेता था. दीपक ने कहा कि एक बार हमारी टीम फंस गयी थी. तब महि ने विकेट कीपिंग छोड़ कर गेंद अपने हाथों में ले ली और गेंदबाजी कर मैच जिता दिया. उस टूर्नामेंट में मही को सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज घोषित किया गया. एक विकेट कीपर बल्लेबाज होते हुए गेंदबाजी में यह अवार्ड अपने आप में मायने रखता है. खड़गपुर में रूम पार्टनर रहे सत्य प्रकाश ने कहा कि अभी पिछले हफ्ते ही महि से बात हुई थी. तब उसने ऐसा कुछ नहीं कहा था. वह कुछ गंभीर जरूर था, लेकिन वह ऐसा निर्णय लेगा, इसकी उम्मीद नहीं थी. सत्य प्रकाश ने कहा कि उसने ही महि का ट्रायल लिया था और उसे नौकरी मिली थी. रूम में जब हमलोग टीवी पर सिनेमा देखते थे, तो वह नाराज हो जाता था. वह सचिन की बल्लेबाजी जरूर देखता था. एक बार जब ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध वनडे मैच चल रहा था और सचिन शेन वार्न की पिटाई कर रहे थे, तब एक लड़के ने आकर चैनल बदल दिया और अमिताभ की पिक्चर देखने की जिद करने लगा. इससे महि नाराज हो गया और अगले दिन उसने एक टीवी खरीद लाया. जिस रूम में वह रहता था और जिस ढाबे में वह खाता था, उसका मालिक आज भी महि को याद करते रहता है और मही भी यदा-कदा उसे फोन करते रहता है. खड़गपर के सेरसा मैदान में खेलने वाले तमाम खिलाड़ी आज भी उसे याद करते रहते हैं. परिजनों व दोस्तों को भी अचंभे में डाला रांची. टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के फैसले से धौनी के परिजन और दोस्त अचंभित हैं. उन्हें नहीं पता था कि यह धौनी का अंतिम टेस्ट है. ऑस्ट्रेलिया में लगातार दो टेस्ट में हार की वजह से धौनी की काफी आलोचना हो रही थी. धौनी के पारिवारिक सूत्रों के अनुसार उन्होंने कभी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर संन्यास लेने की चर्चा नहीं की थी, बल्कि वह ऑस्ट्रेलिया दौरे को लेकर काफी उत्साहित थे. इधर उनके करीबी दोस्त सीमांत लोहानी उर्फ चितू का कहना है कि धौनी हमेशा अपने फैसले से लोगों को अचंभित करते रहे हैं. क्रिकेट के मैदान में भी वे तत्काल कई ऐसे फैसले लेते हैं, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता है. धौनी विश्वास के साथ अपने फैसले लेते हैं और उस पर अडिग रहते हैं. उनकी सफलता में भी तत्काल फैसले लेने का बहुत बड़ा योगदान है. कई बार फैसला सफल नहीं होने पर उनकी आलोचना भी होती है. इसका उन पर कोई खास असर नहीं पड़ता है. वे अपने फैसले को लेकर मानसिक तौर पर पूरी तरह से तैयार रहते हैं. सही समय पर लिया सही फैसला : चंचल भट्टाचार्य रांची. टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धौनी ने मंगलवार को टेस्ट क्रि केट से संन्यास ले लिया. धौनी के संन्यास फैसले से उनके शुभचिंतकों और फैंस को झटका लगा है. दूसरी ओर उनके कोच चंचल भट्टाचार्य ने धौनी के इस फैसले को सही समय पर सही फैसला करार दिया. चंचल भट्टाचार्य ने कहा कि धौनी ने समय रहते सही फैसला लिया है, क्योंकि अब उन्हें अगले साल होनेवाले विश्व कप पर अपना ध्यान केंद्रित करना है. हालांकि, चंचल भट्टाचार्य का यह भी मानना है कि धौनी का यह फैसला जल्दबाजी भरा रहा. उन्होंने कहा कि धौनी हमेशा कहते हैं कि वह सही समय पर सही फैसला करते हैं, लेकिन संन्यास का यह फैसला थोड़ी जल्दबाजी में लिया गया है. वह अब सिर्फ 2015 विश्व कप पर ध्यान फोकस करना चाहते हैं. चंचल भट्टाचार्य ने थोड़ा अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि जब टीम जीत रही होती और ऐसे में धौनी कप्तानी छोड़ते या संन्यास लेते, तो अलग बात होती.


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