सेना से सबूत मांगना बंद करे कांग्रेस: राजीव रंजन

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

पटना : कांग्रेस पर हमला करते करते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा “ भारत-चीन सीमा पर हुई घटना से जहाँ देश चीन के प्रति गुस्से से ऊबल रहा है, वहीं कांग्रेस के नेताओं ने इसमें भी राजनीतिक मौका ढूँढना शुरू कर दिया है. इन्हें चीन की कही बातों पर भरोसा है लेकिन भारतीय सेना और सरकार द्वारा कही जा रही बातों पर नहीं. गौरतलब हो कि केंद्र सरकार पहले ही इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने का ऐलान कर चुकी है, जहाँ सभी दलों को मौजूदा हालात पर विस्तार से जानकारी दी जाएगी. लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस नेता सुर्खियाँ बटोरने के लिए बेफिजूल की बयानबाजी कर रहे हैं.”

श्री रंजन ने कहा “ राहुल गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने जिस नकारात्मक राजनीति का रास्ता अपनाया था, उसे वह बार-बार फजीहत होने के बावजूद भी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. इनके बयानों को देख कर यह पता ही नहीं चलता है कि भारत के पक्ष में हैं या विपक्ष में. याद करें तो पाकिस्तान पर हुए दोनों सर्जिकल स्ट्राइक के बाद, इनके नेताओं में सेना से सबूत मांगने की होड़ लगी हुई थी. इनके एक नेता तो पहले ही सेनाध्यक्ष को ‘गली का गुंडा’ करार दे चुके थे. वास्तव में देश के सबसे बड़े कंफ्यूज नेता का ख़िताब पा चुके राहुल जी का कंफ्यूजन अब पूरी पार्टी को लग चुका है. इसी कंफ्यूजन में यह लोग वह सारे काम कर रहे हैं, जिसे कोई भी देशभक्त कभी भी पसंद नहीं कर सकता.”

भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा “ चीन के साथ कांग्रेस की पुरानी दोस्ती रही है. इन्हीं के राज में चीन ने 1962 में  अक्साई चीन से लेकर 2013 तक राकी नुला तक को अपने कब्जे में ले लिया था. डोकलाम विवाद के समय भी इनके युवराज और चीन के राजदूत की चोरी-छुपे हुई मुलाकात मीडिया के जरिये सार्वजनिक हुई थी, जिसे पहले तो इनकी पार्टी ने नकार दिया था, लेकिन बाद में चीनी वेबसाइट पर फोटो छपने के बाद, बहाने बनाते हुए स्वीकार किया था. आज भी इनका रवैया किसी भी तरह भारत के पक्ष में नहीं कहा जा सकता. दरअसल इन्हें यह बर्दाश्त ही नहीं हो रहा है कि जिस देश के सामने इन्होने बार-बार घुटने टेके थे, मोदी सरकार उसे नाकों तले चने कैसे चबवा सकती है. इनके बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि यह चाहते ही नहीं कि देश की सेना का मनोबल ऊँचा रहे. कांग्रेस जान ले कि उनका यह रुख जनता किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करने वाली.”


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