महागठबंधन से आश्वासन की घुटी पीकर उपेन्द्र कुशवाहा ने खत्म की राजनैतिक नौटंकी: ललन यादव

रिपोर्ट: सुशांत पाठक

उपेन्द्र कुशवाहा की हर राजनैतिक नौटंकी को इस बार बिहार की जनता करेगी नाकाम : ललन यादव 

पटना: स्वार्थ और सत्ता पाने की भूख में आमरण अनशन करनेवाले उपेन्द्र कुशवाहा ने महागठबंधन से आश्वासन की घुटी पीने के बाद आखिरकार अपना अनशन तोड़ ही दिया| यह आरोप लगाते हुए असली देशी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन यादव ने कहा है कि उपेन्द्र कुशवाहा को शिक्षा और शिक्षकों की समस्याओं से कही कोई लेना-देना नहीं है| 2020 में होनेवाले बिहार विधानसभा में सियासी लाभ लेने एवं महागठबंधन में जगह पाने के लिए उपेन्द्र कुशवाहा की यह एक राजनैतिक नौटंकी मात्र थी| सवालिया लहजे में श्री यादव ने कहा कि अगर वह बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के प्रति वाकई गंभीर होते तो केंद्रीय मंत्री रहते उन्होंने इस दिशा में कार्रवाई (आवाज बुलंद) क्यों नहीं की?

गौरतलब है कि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने भूख हड़ताल के चौथे दिन आमरण अनशन तोड़ दिया| अनशन के चौथे दिन पूर्व उपमुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने उपेन्द्र कुशवाहा को जूस पिलाकर अनशन तोड़वाया। आमरण अनशन के तीसरे दिन ही उपेन्द्र कुशवाहा काफी कमजोरी महसूस कर रहे थे जिसको देखते हुए स्वास्थ्य परीक्षण के लिए प्रशासन ने उन्हें पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के आईसीयू में एडमिट करवाया था| चार दिनों से भूखे रहने के कारण कुशवाहा का वजन घटने के साथ ही उनका ब्लड प्रेशर भी बढ़ गया था जिससे वे काफी कमजोर हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि उपेन्द्र कुशवाहा बीपी एवं मधुमेह दोनों के मरीज हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह, कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह, राजद के प्रदेश अध्‍यक्ष जगदानंद सिंह सहित बिहार महागठबंधन के कई वरीय नेता पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल पहुंचकर उनके स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में जानकारी ली| 

ललन यादव ने कहा कि सत्ता सुख से वंचित होने के बाद उपेन्द्र कुशवाहा बिन पानी की मछली की तरह तड़प रहे हैं| जमीन और जनाधार से वंचित जातीय राजनीति के जरिये सत्ता सुख भोगनेवाले उपेन्द्र कुशवाहा सत्ता से बेदखल होने के बाद छटपटाहट में हैं और ये सारी कसरत सिर्फ महागठबंधन में बड़े नेता के तौर पर उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कर रहे हैं| उनके इस सियासी ड्रामे को न सिर्फ सभी सियासी पार्टियां बल्कि बिहार की जनता भी पहचान चुकी है, इसलिए उनकी हर राजनैतिक नौटंकी नाकाम साबित होगी| क्योकि, जातीय राजनीति से उपर उठकर बिहार की जागरूक जनता अब विकास, विकास और सिर्फ विकास चाहती है| इस प्रदेश की जनता पुराने उबाऊ, नौटंकीबाज नेताओं को अब रिजेक्ट कर चुकी है और उन्हें युवा, ऊर्जावान नेतृत्व की तलाश है जो अपनी कुशल रणनीति एवं दूरदर्शी सोच से बिहार को विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करेगा|

 

 


Create Account



Log In Your Account