नीति आयोग की रिपोर्ट ने नीतीश सरकार की खोली पोल, गुमराह करने की कोशिश मात्र है मानव श्रृंखला

रिपोर्ट: शिलनिधि

पटना : जल-जीवन-हरियाली, नशामुक्ति, बाल विवाह एवं दहेज प्रथा उन्मूलन के खिलाफ रविवार (19 नवंबर) को बनने वाली मानव श्रृंखला को लेकर सियासी गलियारे में विरोध के सूर दिखाई देने लगे हैं| 21 जनवरी 2017 को शराबबंदी के पक्ष में जबकि 21 जनवरी 2018 को दहेज़ प्रथा एवं बाल बिवाह के खिलाफ बनी मानव श्रृंखला में बिहारवासियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था| पूर्व में सामाजिक कुरीतियों के विरोध में बनी मानव श्रृंखला का आम आवाम के साथ ही सियासी दलों ने एक सूर में की तारीफ़ की थी| लेकिन इस बार बननेवाली मानव श्रृंखला पर विपक्षी दलों ने कई सवाल खड़ा किया है|

असली देशी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन यादव ने मानव श्रृंखला पर कटाक्ष करते हुए नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा किया है| सवालिया लहजे में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मानवता मर चुकी है ऐसे में किस बात की मानव श्रृंखला। अध्ययन-अध्यापन के काम में लगे शिक्षकों और विद्यार्थियों को कतार में लगा कर सुशासन बाबू अपना चेहरा चमकाने की हर मुमकिन कोशिश में जुटे हैं| श्री यादव ने कहा कि न्याय के साथ विकास का नारा गढ़नेवाली नीतीश सरकार अगर स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचा जैसे जनहित से जुड़े मुद्दों पर थोड़ा भी ध्यान दिया होता तो बिहार की स्थिति आज इतनी बदतर नहीं होती। 15 वर्षों के कार्यकाल में नीतीश सरकार ने क्या कीर्तिमान स्थापित किया है, नीति आयोग की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि कर सुशासन की सरकार का पोल खोल दिया है|

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष नीति आयोग के जारी सूचकांक में बिहार देश में सबसे फिसड्डी राज्य के रुप में उभरकर सामने आया है| रिपोर्ट के मुताबिक़ केरल शीर्ष पर जबकि बिहार सबसे पीछे रहा| रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम ने 2018 के मुकाबले काफी अच्छी प्रगति की है वहीं, बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब रहा| बिहार का स्कोर बढ़ा लेकिन रैंकिंग में सबसे पीछे है|

श्री यादव ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम के नाम पर बिहार की गरीब जनता के खून-पसीने की गाढ़ी कमाई (24 हजार 500 करोड़ रुपया) खर्च कर सीएम नीतीश कुमार 2020 की चुनावी तैयारी में जुटे हैं| इस बार तकरीबन 16,200 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाकर अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ने में बिहार सरकार एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है| नीतीश सरकार के इस महत्वाकांक्षी मानव श्रृंखला को बिहार की जनता के साथ-साथ शिक्षक संगठनों एवं नियोजित शिक्षकों ने पहले ही नकार दिया है| उन्होंने कहा कि राज्य में प्रतिदिन अपहरण, दुष्कर्म व बैंक लूट की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन इस तरफ राज्य सरकार का ध्यान नहीं है। हर मोर्चे पर विफल और आपराधिक घटनाओं पर संज्ञान लेने की बजाय नीतीश कुमार बिहार की जनता को गुमराह करने की नाकाम कोशिश में जुटे हैं|

 


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