124वां संविधान संशोधन बिल आज पेश होगा; अब हर गरीब आरक्षण का हकदार

रिपोर्ट: सभार

केंद्र ने सवर्णों को आर्थिक आधार पर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण देने से जुड़ा 124वां संविधान संशोधन बिल मंगलवार को सदन में पेश किया। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने इसे पटल पर रखा। सामाजिक समरसता की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए मोदी सरकार ने सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आर्थिक आधार पर 10 फीसद आरक्षण देने का फैसला किया है। इस फैसले से सरकार को सवर्णो की नाराजगी दूर करने में सफलता मिल सकती है। गरमा रहे चुनावी माहौल के बीच अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के लिए निर्धारित 50 फीसद के कोटे को छेड़े बिना सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने के इस फैसले को मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। इसका लाभ सवर्ण हिंदुओं के साथ-साथ सभी अनारक्षित जाति के गरीबों को मिलेगा। इसमें आर्थिक पिछड़ेपन की परिभाषा ओबीसी के समान ही रखी जाएगी।

सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी। इस फैसले को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। इसलिए मंगलवार को लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। इसी सत्र में इसे पारित कराने के मकसद से राज्यसभा की कार्यवाही भी एक दिन बढ़ा दी गई है। पहले सदन की कार्यवाही मंगलवार को ही स्थगित होने वाली थी। देर रात भाजपा ने अपने सांसदों को लोकसभा में उपस्थित रहने का व्हिप भी जारी कर दिया है।

बहरहाल, राजनीतिक रूप से सरकार का यह सफल कदम माना जाएगा। पिछले कुछ महीनों में एससी, एसटी आरक्षण को लेकर उठे विवाद और कुछ स्थानों पर अगड़ी जातियों में उग्रता को थामने के लिहाज से भी यह बड़ा फैसला है। दरअसल कई राज्यों में अगड़ी जातियों की ओर से भी आंदोलन हुआ था।

इन्हें मिलेगा लाभ

- ऐसे परिवार, जिसकी सालाना आय आठ लाख या उससे कम होगी।

- जिनके पास पांच एकड़ या उससे कम कृषि योग्य भूमि है।

- ऐसे परिवार जिनके पास एक हजार वर्ग फीट या उससे कम का फ्लैट है।

- अधिसूचित नगरीय क्षेत्र में जिनके पास 109 गज का प्लॉट है।

- गैर-अधिसूचित नगरीय क्षेत्र में 209 या उससे कम का प्लॉट है।

-जो अभी तक किसी भी तरह के आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते थे

सरकार ने गरीब सवर्णो को आरक्षण देने का फैसला सिन्हो आयोग की रिपोर्ट के आधार पर किया है। सेवानिवृत्त मेजर जनरल एसआर सिन्हो की अध्यक्षता में 2006 में एक आयोग का गठन किया गया था। इसने 22 जुलाई, 2010 को अपनी रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में सामान्य जातियों के गरीब लोगों को भी सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने की सिफारिश की गई थी। हालांकि, इस सिफारिश को तत्कालीन संप्रग सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया था।

संविधान में करना होगा बदलाव

मोदी सरकार यह आरक्षण आर्थिक आधार पर ला रही है, जिसकी अभी संविधान में व्यवस्था नहीं है। संविधान में जाति के आधार पर आरक्षण की बात कही गई है। ऐसे में सरकार को इसको लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए धारा 15 और 16 में एक-एक क्लॉज जोड़ा जाएगा और सामान्य जातियों में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा।

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसद आरक्षण की सीमा बांध दी है। यह सीमा तब बांधी गई थी, जब सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की बात की गई थी। नया आरक्षण आर्थिक आधार पर होगा। सरकार को आशा है कि इस आधार पर इसे रद करना संभव नहीं होगा।


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