जम्मू-कश्मीर से सुप्रीम कोर्ट ने धारा 144 हटाने की याचिका पर दखल देने से इंकार करते हुए हालात सामान्य होने के लिए सरकार को वक्त दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मामला संवेदनशील है, इसलिए सरकार को अभी और वक्त मिलना चाहिए| कोर्ट ने कहा है कि रातों रात हालात सामन्य नहीं हो सकते। अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि केंद्र रोज़ाना जम्मू कश्मीर की स्थिति का जायज़ा ले रही है। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेंगे|
अटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा कि जैसी ही स्थिति सामान्य होगी, व्यवस्था भी सामान्य हो जाएगी| हम कोशिश कर रहे हैं कि लोगों को कम से कम असुविधा हो| 1999 से हिंसा के कारण 44000 लोग मारे गए हैं| अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उम्मीद है कि कुछ दिनों में हालात सामान्य हो जाएंगे| पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा था कि वह अनुच्छेद 370 के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं लेकिन वह चाहते हैं कि वहां से कर्फ्यू एवं पाबंदियां तथा फोन लाइन, इंटरनेट और समाचार चैनल अवरूद्ध करने सहित दूसरे कथित कठोर उपाय वापस लिये जायें। इसके अलावा, कांग्रेस कार्यकर्ता ने पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है जो इस समय हिरासत में हैं।
याचिकाकर्ता की वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि मूलभूत सुविधाओं को बहाल किया जाना चाहिए| कम से कम अस्पतालों में संचार सेवा को बहाल किया जाना चाहिए| इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि स्थिति संवेदनशील है| हम मूलभूत सुविधाओं को बहाल करने पर काम कर रहे हैं|
गौरतलब है कि घाटी में अभी भी मोबाइल फोन, मोबाइल इंटरनेट और टीवी-केबिल पर रोक लगी हुई है| हालांकि, जम्मू में धारा 144 को पूरी तरह से हटा दिया गया है और कुछ क्षेत्रों में फोन की सुविधा चालू की गई है| अभी सिर्फ मोबाइल कॉलिंग की सुविधा ही शुरू की गई है|