एयर इंडिया ने रचा इतिहास, नॉर्थ पोल से फ्लाइट उड़ाने वाली पहली एयरलाइन बनी

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

  • 73वें स्वंतत्रता दिवस पर एयर इंडिया ने रचा है इतिहास
  • दिल्ली से सैन फ्रैंसिस्को के बीच उड़ान नॉर्थ पोल से गुजरी
  • पाक के ऊपर से फ्लाइट के लिए तैयार थे कई रास्ते

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच पोलर रूट पर जाने के लिए एयर इंडिया के ऑपरेशन्स विभाग ने दो फ्लाइट प्लान बनाए। भारतीय विमान सेवा प्रदाता कंपनी एयर इंडिया ने इतिहास रच दिया है| एयर इंडिया की विमान बोइंग-777 ने  नॉर्थ पोल के ऊपर से उड़ान भरी है जिसके बाद पोलर क्षेत्र से उड़ान भरने वाली ये पहली एयरलाइंस कंपनी बन गई है| दिल्ली-सैन फ्रैंसिस्को की फ्लाइट AI-173 सुबह 4 बजे 243 यात्रियों के साथ पाकिस्तान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, रूस के ऊपर से उड़कर 12|27 बजे नॉर्थ पोल से निकली। अमेरिका जाने वाले इस रूट से कई फायदे होंगे| लोगों को ढ़ाई घंटे के समय की बचत होगी| वहीं, चार हजार किलोमीटर का सफर भी कम करना होगा| इससे काफी मात्रा में ईंधन की बचत होगी|

अत्याधिक गुरुत्वाकर्षण होने की वजह से दिशा की सही जानकारी देने वाले कंपास भी काम करना बंद कर देते हैं। ऐसे वक्त में विमान में लगे अत्याधुनिक तकनीक और जीपीएस की सहायता से पायलट को विमान में लगी स्क्रीन पर डिजिटल डेटा उपलब्ध होता है, जिसकी मदद से पायलट सही मार्ग का चयन करता है। एयर इंडिया आर्कटिक महासागर (नॉर्थ पोल) के ऊपर उड़ान भरने वाली पहली एयरलाइन बन गई है| अगर भारतीय उड़ानों के लिए एयरस्पेस बंद रखा जाता तो पोलर क्षेत्र से उड़ान भरा जाएगा| स्वतंत्रता दिवस पर एयर इंडिया की फ्लाइट AI 173 ने दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को तक उड़ान भरी| इस ऐतिहासिक उड़ान में अभिनेता विवेक ओबेरॉय भी थे| एयर इंडिया ने एक नए मार्ग, नॉर्थ पोल के ऊपर से दिल्ली और सैन फ्रांसिस्को के बीच उड़ान सेवा शुरू की है| इसके अलावा, एयर इंडिया अपने 19 खड़े हो चुके विमानों को फिर से बेड़े में लाने की तैयारी कर रही है|

नॉर्थ पोल में तापमान हर समय करीब माइनस 30 के करीब रहता है। तापमान माइनस 65 के करीब पहुंचने पर विमान का ईंधन भी जम सकता है। इस वजह से उड़ान के दौरान ऊंचाई का भी विशेष खयाल रखना होता है। अमेरिकी फ्लाइट के इस नए मार्ग से समय के साथ ईंधन की भी बचत होगी| एयर इंडिया द्वारा नए मार्ग से सेवा शुरू करने से उड़ान के समय में करीब डेढ़ घंटे की कमी आएगी और इससे 2,000 से 7,000 किलोग्राम प्रति उड़ान के रेंज में ईंधन की बचत होगी| उड़ान का समय अब साढ़े चौदह के बजाय 13 घंटे हो जाएगा| यह सेवा 15 अगस्त को शुरू कर दी गई|

एयर इंडिया को उम्मीद है कि इस साल अक्टूबर तक उसके 19 ग्राउंडेड एयरक्राफ्ट फिर से बेड़े में शामिल हो जाएंगे| एयरलाइंस के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने चरणबद्ध तरीके से इन विमानों को बेड़े में वापस लाने के लिए काम शुरू कर दिया है| न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मूताबिक पहले चरण में दो बोइंग 787 विमानों को शामिल किया जाएगा, इसके बाद दूसरे चरण में चार बोइंग 777 विमान शामिल किए जाएंगे| जाड़े से पहले सभी विमानों को बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा|

एयर इंडिया ने इन विमानों को फिर से काम में लगाने के लिए करीब 500 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है| इस सरकारी एयरलाइंस के पास करीब 128 जेट यात्री विमानों का बेड़ा है| इसके अलावा एयर इंडिया कनाडा और अफ्रीका के लिए भी नई उड़ाने शुरू करने जा रही है| सितंबर से शुरू होने वाली वाली मुंबई-नैरोबी और दिल्ली-टोरंटो फ्लाइट के लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं| इसके बाद 27 अक्टूबर को दिल्ली-चेन्नई-बाली की उड़ान शुरू होगी|


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