नई दिल्ली, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुटनिरपेक्षता की नेहरू नीति से आगे जाकर बड़ी भूमिका के लिए तैयार हो रही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक बड़ा झटका दिया है। प्रणब ने इजरायल जाने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने केंद्र सरकार के सामने शर्त रख दी है कि इजरायल वह तभी जाएंगे, जबकि इसी दरम्यान फिलिस्तीन जाने का भी उनका कार्यक्रम बने। सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार ने राष्ट्रपति से इस साल यानी 2015 में छह देशों की यात्रा करने का प्रस्ताव भेजा है। इनमें स्वीडन, बेलारूस, इजरायल और नाइजीरिया समेत अफ्रीका के तीन देश हैं। इनमें अकेले इजरायल जाने से प्रणब ने मना कर दिया है। दरअसल, कांग्रेस में इंदिरा से लेकर राहुल गांधी तक की तीन पीढि़यों के साथ बतौर राजनीतिज्ञ काम कर चुके राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नेहरू-गांधी के वैचारिक दर्शन से अलग हटने को तैयार नहीं हैं। गौरतलब है कि अरब देशों व फिलिस्तीन के साथ कांग्रेस शासित सरकारों ने संबंध बेहतर रखे थे। वास्तव में यह स्थानीय स्तर पर अल्पसंख्यक सियासत में भी संतुलन बनाने का दबाव था। फिर फिलिस्तीन के पूर्व राष्ट्रपति यासर अराफात और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के समय में दोनों देशों के रिश्ते बेहद अच्छे रहे हैं। हालांकि, 1992 में इजरायल के साथ कूटनीतिक रिश्ते कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार ने ही शुरू किए थे। मगर राजग की पहली यानी वाजपेयी सरकार के दौरान ही इजरायल से रिश्ते नई ऊंचाई तक गए। इससे पहले इजरायल और फिलिस्तीन के साथ रिश्तों में संतुलन बना रहा है। केंद्र में राजग की सरकार दूसरी बार आने के बाद अब वैश्विक स्तर पर भारत ज्यादा बड़ी भूमिका निभाने को तैयार दिख रहा है। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने विदेश नीति में एक नया आयाम जोड़ने के प्रयास किए हैं। भाजपा के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इजरायल के बजाय फिलिस्तीन को ज्यादा तवज्जो दिए जाने के खिलाफ रहा है। यहां तक कि 1970 में संघ और भाजपा ने फलस्तीन के एक प्रतिनिधिमंडल के आने पर धरना तक दिया था। अब रक्षा क्षेत्र में इजरायल की विशेषज्ञता का फायदा उठाने के लिए मोदी सरकार आगे बढ़ रही है। इस कड़ी में जहां न्यूयार्क में मोदी ने इजरायल के राष्ट्र प्रमुख से बात की। वहीं भारतीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी इजरायल के दौरे पर गए। इसके बाद इजरायल के रक्षा मंत्री मोसे या-लोइन पहली बार भारत आए। उन्होंने भारत के साथ संबंधों के नए पड़ाव की बात भी मानी। उन्होंने दिल्ली में कहा भी था कि \'हम लोगों का रिश्ता है, लेकिन वह पर्दे के पीछे था। आज मैं आप लोगों के बीच खड़ा हूं।\' ध्यान रहे कि भारत और इजरायल के बीच करीब एक लाख करोड़ के रक्षा सौदे पाइपलाइन में हैं।