बजट 2018 के मद्देनजर मोदी सरकार कर सकती है कई बड़ी घोषणाएं

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

नई दिल्‍ली - 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में पीएम मोदी की ड्रीम स्‍कीम्‍स की रफ्तार तेज करने के लिए कई अहम घोषणाएं हो सकती हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट पेश करते हुए मोदी सरकार की ड्रीम स्‍कीम्‍स हाउसिंग फॉर ऑल-2022, कम्‍प्र‍िहेंसिव हेल्‍थ केयर पॉलिसी, साल 2022 तक कि‍सानों की आय को दोगुना करना, माइक्रो, स्‍मॉल एंड मीडियम (एमएसएमई) सेक्‍टर, रेलवे के बजट अलोकेशन में वृद्धि जैसे अन्य कई महत्वपूर्ण विषयों को अहमियत दे सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्‍ट्स में हाउसिंग फॉर ऑल-2022 प्रमुख है। लेकिन यह प्रोजेक्‍ट अभी काफी स्‍लो स्‍पीड से चल रहा है। शहरों में दो करोड़ घर बनने हैं, लेकिन अभी तक केवल 2.5 लाख के आसपास घर बन पाए हैं। ऐसे में, 1 फरवरी को होने वाले बजट में जेटली हाउसिंग सेक्‍टर के लिए एक बड़ी घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार जेटली 6 लाख रुपए तक की इनकम वालों को बड़ी राहत दे सकते हैं। जिसके तहत बड़े साइज के घर 6.5 फीसदी इंटरेस्ट सब्सिडी के तहत आ सकते हैं। अभी 3 लाख रुपए तक की इनकम वालों को 30 वर्ग मीटर के घर और 3-6 लाख रुपए इनकम वालों को 60 वर्ग मीटर के घर पर 6.5 फीसदी होम लोन पर इंटरेस्ट सब्सिडी मिलती है। जबकि उससे ज्यादा के इनकम ग्रुप को होम लोन के इंटरेस्ट पर 3-4 फीसदी तक सब्सिडी मिलती है। इसके अलावा जेटली ने साल 2017-18 के बजट में पहली बार घर खरीदने वाले कस्टमर को 50 हजार रुपए की अतिरिक्त इंटरेस्ट छूट दी थी। यानी कोई कस्टमर अगर 2.5 लाख रुपए तक सालाना इंटरेस्ट चुका रहा है, तो वह टैक्स छूट का फायदा ले सकता है। इस बार इसे 3 लाख रुपए तक किए जाने की संभावना है। 

2014 के चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा ने वादा किया था कि कम्‍प्र‍िहेंसिव हेल्‍थ केयर पॉलिसी लाई जाएगी और हेल्‍थ सर्विसेज को लोगों की पहुंच तक लाया जाएगा। लेकिन अब तक ऐसी कोई पॉलिसी नहीं लाई जा सकी है। सरकार ने दवाओं की कीमतों पर लगाम लगाने की कोशिश की है, लेकिन लोगों को सस्‍ता इलाज अब भी नहीं मिल पा रहा है। बजट 2018 में हेल्‍थ सेक्‍टर पर खासा फोकस किया जा सकता है। सरकार बजट में यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम का ऐलान कर सकती है। साथ ही इसके लिए पहले साल 1800 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान भी किया जा सकता है। स्कीम के तहत जहां बीपीएल परिवारों को बहुत थोड़ी  रकम प्रीमियम के रूप में देनी होगी, वहीं सामान्य परिवारों को भी सस्ते प्रीमियम पर हेल्थ इन्श्योरेंस का लाभ मिल सकेगा। प्रीमियम की राशि 1 हजार रुपए से भी कम होने की संभावना है। 

वि‍श्‍व स्‍तर पर भारतीय एग्रीकल्‍चर अच्‍छा परफॉर्म नहीं कर पा रहा है। वर्ष 2016-17 में एग्रीकल्‍चर एक्‍सपोर्ट गि‍रकर 33.87 अरब डॉलर आ गया जो 2013-14 में 43.23 अरब डॉलर था। साल 2017-18 की सेकंड क्वार्टर में एग्रीकल्‍चर जीवीए में गि‍रावट दिख रही है। जहां पहले क्‍वार्टर में 2.3% की ग्रोथ दर्ज की गई थी वहीं दूसरे क्‍वार्टर में यह गि‍रकर 1.7% आ गई। एनएसएसओ के 70वें राउंड के मुताबि‍क, भारत में कि‍सान परि‍वार की औसत मासि‍क आय केवल 6426 रुपए है। सरकार साल 2022 तक कि‍सानों की आय को दोगुना करना चाहती है। इसके लि‍ए हमें पब्‍लि‍क और प्राइवेट दोनों सेक्‍टरों की ओर से 6399 करोड़ रुपए के अति‍रि‍क्‍त नि‍वेश की जरूरत होगी। 

माइक्रो, स्‍मॉल एंड मीडियम (एमएसएमई) सेक्‍टर पहले नोटबंदी और उसके बाद जीएसटी के कारण काफी नाराज है। छोटे कारोबारी इन फैसलों का खुलेआम विरोध भी कर चुके हैं। सरकार के प्रयासों के बावजूद बैंक एमएसएमई सेक्‍टर को लोन देने में इंटरेस्‍ट नहीं दिखा रहे हैं। मिनिस्‍ट्री ऑफ एमएसएमई की एक रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2017 से अक्‍टूबर 2017 के दौरान मिनिस्‍ट्री ने 161696 क्रेडिट प्रपोजल अप्रूव किए। जबकि इसी अवधि के दौरान साल 2016 में 305903 प्रपोजल अप्रूव हुए। अकेले अक्‍टूबर 2016 में मिनिस्‍ट्री ने 24384 प्रपोजल अप्रूव किए थे, जबकि इस साल अक्‍टूबर में केवल 14597 प्रपोजल अप्रूव हुए। यानी कि पिछले साल के मुकाबले इस साल लगभग आधे प्रपोजल को अप्रूवल मिला है।  

मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में रेलवे  का स्‍थान प्रमुख है। इसके लिए सरकार ने कई घोषणाएं भी की। पिछले साल से रेलवे का अलग बजट खत्‍म कर आम बजट में रेलवे को शामिल कर लिया गया। बावजूद इसके, रेलवे के हालात में कोई खास अंतर नहीं आया। अभी भी ट्रेनें कई-कई घंटे देरी से चल रही हैं। एक्‍सीडेंट्स पर अंकुश नहीं लग पाया है। सुविधाएं भी नहीं बढ़ी हैं। सूत्रों के मुताबिक, बजट में नई ट्रेनों की बजाय नई पटरियां बिछाने की घोषणा हो सकती है। 


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