76वें जन्मदिन पर डॉ0 विन्देश्वर पाठक को 76 किलो का माला पहनाकर दी गयी शुभकामनाएं

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक एवं सक्रिय समाजसेवी डॉ0 विन्देश्वर पाठक के 76वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में नई दिल्ली के सुलभ तीर्थ सभागार में आयोजित समारोह में परिजनों एवं समाजसेवियों ने उनके दीर्घायु होने की कामना की| सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस आर्गनाइजेशन के मानद सलाहकार संजीव कुमार मिश्र एवं संघर्ष संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष विपिन भारती ने सुलभ आंदोलन के संस्थापक डॉ0 पाठक को उनके 76 वें बर्थडे पर 76 किलो के गुलाब के फूलों का माला पहनाकर विशेष रूप से स्वागत किया।

उल्लेखनीय है कि डॉ बिन्देश्वर पाठक का जन्म भारत के बिहार प्रान्त के रामपुर में हुआ। उन्होने सन १९६४ में समाजशास्त्र  में स्नातक की उपाधि हासिल की। सन १९६७ में उन्होने बिहार गांधी जन्म शताब्दी समारोह समिति में एक प्रचारक के रूप में कार्य किया। वर्ष 1970 में बिहार सरकार के मंत्री शत्रुहन शरण सिंह के सुझाव पर सुलभ शौचालय संस्थान की स्थापना की। बिहार से यह अभियान शुरू होकर बंगाल तक पहुंच गया। वर्ष 1980 आते आते सुलभ भारत ही नहीं विदेशों तक पहुंच गया। सन, 1980 में इस संस्था का नाम सुलभ इण्टरनेशनल सोशल सर्विस आर्गनाइजेशन हो गया। सुलभ को अन्तर्राष्ट्रीय गौरव उस समय प्राप्त हुआ जब संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद द्वारा सुलभ इण्टरनेशनल को विशेष सलाहकार का दर्जा प्रदान किया गया।

सन १९८० में उन्होने स्नातकोत्तर तथा सन १९८५ में पटना विश्वविद्यालय से पीएच डी की उपाधि अर्जित की। उनके शोध-प्रबन्ध का विषय था - बिहार में कम लागत की सफाई-प्रणाली के माध्यम से सफाईकर्मियों की मुक्ति (लिबरेशन ऑफ स्कैवेन्जर्स थ्रू लो कास्ट सेनिटेशन इन बिहार)। बिंदेश्वर पाठक ने सामाजिक विज्ञान में स्नातक किया। उन्होंने अपनी परास्नातक उपाधि 1980 में और डॉक्टरेट की उपाधि 1985 में पटना विश्वविद्यालय से प्राप्त की| उच्चकोटि के लेखक और वक्ता के रूप में श्री पाठक ने कई पुस्तके भी लिखीं। स्वच्छता और स्वास्थ्य पर आधारित विभिन्न कार्यशालाओं और सम्मेलनों में श्री पाठक ने अभूतपूर्व योगदान दिया।

एक पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में जन्मे और बिहार में पले बढ़े डॉ0 पाठक ने अपने पीएच.डी. का अध्ययन क्षेत्र "भंगी मुक्ति और स्वच्छता के लिए सर्व सुलभ संसाधन" जैसे विषय को चुना और इस दिशा में गहन शोध भी किया। 1968 में श्री पाठक भंगी मुक्ति कार्यक्रम से जुड़े रहे और उन्होंने तब इस सामाजिक बुराई और इससे जुड़ी हुई पीड़ा का अनुभव किया। श्री पाठक के दृढ निश्चय ने उन्हें सुलभ इंटरनेशनल जैसी संस्था की स्थापना की प्रेरणा दी और इस प्रकार उन्होंने 1970 में भारत के इतिहास में एक अनोखे आंदोलन का शुभारंभ किया| श्री पाठक ने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की| सुलभ इंटरनेशनल एक सामाजिक सेवा संगठन है जो मुख्यतः मानव अधिकार, पर्यावरणीय स्वच्छता,  ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों और शिक्षा द्वारा सामाजिक परिवर्तन आदि क्षेत्रों में कार्य करती है। इस संस्था के 50,000 समर्पित स्वयंसेवक हैं।

 

 

 

 


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