बेहतर उत्पादन के लिए वर्षा की मात्रा के अनुरूप फसल चक्र अपनाना होगा

रिपोर्ट: रमेश पाण्डेय

पटना : जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम से संबंधित प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य के किसानों की बहुत कुछ स्थिति फसलों के बेहतर उत्पादन पर है। पिछले कुछ वर्षों से राज्य में वर्षापात कम हो रही है, जिसका असर कृषि पर पड़ रहा है। इसलिए लोगों को वर्षा की मात्रा के अनुरुप फसल चक्र अपनाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल चक्र कार्यक्रम के तहत होने वाले डिमांस्ट्रेशन के लिए जिन जिलों का चयन किया जा रहा है उस क्षेत्र की खासियत के अनुसार वहां प्रयोग उचित रहेगा। स्थानीय जरुरतों के अनुरुप फसलों की वेरायटी को प्राथमिकता में रखते हुए रिसर्च करना होगा।

उन्होंने कहा कि उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति में एवं दक्षिण बिहार में सुखाड़ की स्थिति में फसलों के चयन पर विशेष तौर पर ध्यान रखना होगा। जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में फसल चक्र प्रदर्शन उपयुक्त होगा ताकि किसान वहां आकर आसानी से समझ सकेंगे और प्रेरित होकर आगे इसी तरह के फसल चक्र को अपनायेंगे। जिन-जिन फसलों का चयन किया जा रहा है उसमें सब्जी की खेती विशेषकर आलू को भी शामिल किया जाए। जैविक खेती में भी क्रॉप सायकिल पर रिसर्च किया जाए। राज्य में पहले से ही गंगा किनारे के चार जिलों में सब्जी की जैविक खेती पर काम किया जा रहा है। पुरानी परंपरागत फसलों पर भी रिसर्च करने की जरुरत है।

एक अणे मार्ग स्थित संकल्प में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष कृषि विभाग के सचिव एन0 श्रवण कुमार ने “जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम” से संबंधित प्रस्तुतीकरण दिया। प्रस्तुतीकरण के क्रम में मुख्यमंत्री को बताया गया कि राज्य में अनियमित वर्षा के कारण फसलों के उत्पादन में कमी आ रही है। इसके लिए क्रॉप सिस्टम में परिवर्तन लाने की जरुरत है। उन्होंने डिफेरेंट क्राप्स सायकिल फॉर डिफ्रेंट इकोलॉजिज, रिसर्च, प्रपोज्ड प्रोजेक्ट एरिया, क्रॉप कैलेंडर इत्यादि पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। “जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम” के अंतर्गत चार संस्थान बोरलॉग इंस्टीच्यूट फॉर साउथ एशिया, इंटरनेशनल मेज एंड व्हीट इंप्रुवमेंट सेंटर, आई0सी0ए0आर0, बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी एवं राजेंद्र नगर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी काम करेंगी। इसका उद्देश्य है कि तीनों मौसमों में खरीफ, रबी एवं गरमा फसलों का अधिकतम उत्पादन हो, जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ हो सके। इस कार्यक्रम में प्रोडक्टिविटी, प्रोफिटेलिटी और सस्टेनेब्लिटी पर विशेष जोर होगा। राज्य के कुछ जिलों में प्रयोग के तौर पर इसपर काम किया जाएगा, उसके बाद किसानों को फसल चक्र अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

बैठक में मुख्य सचिव दीपक कुमार, आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, कृषि विभाग के सचिव एन0 श्रवण कुमार, अपर सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय चंद्रशेखर सिंह, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, बोरलॉग इंस्टीच्यूट फॉर साउथ एशिया पूसा, समस्तीपुर, के साइंटिस्ट राजकुमार जाट सहित कृषि विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे। 

 

 


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