काशी के खाते में छठा भारत रत्न

रिपोर्ट: साभारः

बीएचयू के संस्थापक महामना पं. मदन मोहन मालवीय वाराणसी से जुड़ी छठी शख्सियत हैं जिन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा की गयी है। उनके पहले डॉ. भगवान दास, लालबहादुर शास्त्री, पं. रविशंकर, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां और प्रो. सीएनआर राव को यह सम्मान मिल चुका है। राष्ट्रपति भवन ने बुधवार को मालवीय जी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा की। महामना मदन मोहन मालवीय शिक्षाविद, विधिवेत्ता, पत्रकार, समाजसेवी, समाज सुधारक, राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाने जाते हैं। एक व्यक्ति के अंदर इतनी विशिष्टताएं बिरले ही मिलती हैं। शिक्षा को वह राष्ट्र निर्माण का सबसे मजबूत आधार मानते थे। काशी के सबसे पहले भारत रत्न डॉ. भगवानदास थे, जिन्हें 1955 में यह सम्मान मिला। उन्होंने काशी विद्यापीठ की स्थापना के साथ ही आजादी की लड़ाई के प्रखर योद्धा के रूप में अपनी छाप छोड़ी थी। द्वितीय प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को 1966 में भारत रत्न से नवाजा गया। ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देने वाले शास्त्रीजी का भारतीय राजनीति में विशिष्ट योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। काशी को तीसरी बार भारत रत्न का गौरव सितार के जादूगर पं. रविशंकर ने 1999 में दिलाया। सितार, रुद्रवीणा, रुबार व सुर श्रृंगार बजाने में महारत हासिल करने के बाद रवीन्द्र शंकर चौधरी से पं. रविशंकर बने इस काशी के लाल ने पूरी उम्र अपनी जन्मभूमि को गौरवान्वित किया। शहनाई के सम्राट उस्ताद बिस्मिल्लाह खां काशी को चौथे नगीने थे, जिन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान हासिल हुआ। उन्हें 2001 में ‘भारत रत्न’ मिला। उन्होंने 15 अगस्त 1947 को लालकिले से शहनाई वादन कर भारत की आजादी के जश्न का ‘बिस्मिल्लाह’ किया था। वर्ष 2013 में काशी को एक बार फिर खिलखिलाने का मौका मिला, जब काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से विज्ञान में परास्नातक की उपाधि हासिल करने वाले


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