J&K में नियंत्रण रेखा पर स्मार्ट फेंसिंग के हाइब्रिड मॉडल से अब घुसपैठ की कोशिश होगी नाकाम

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (line of control) पर घुसपैठियों के मंसूबे नाकाम करने के लिए सेना ने बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रानिक सर्विलांस का सहारा लेते हुए एलओसी की चाक-चौबंद बाड़ेबंदी की है| नियंत्रण रेखा पर मौजूदा 700 किलोमीटर लंबे बाड़ेबंदी को सेना स्मार्ट और इलेक्ट्रॉनिक कर रही है और वहां सेंसर भी लगा रही है| इस काम में काफी खर्च आने के कारण अब हाइब्रिड मॉडल को अपनाया जा रहा है| 

फेंसिंग की हाइब्रिड तकनीक को लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग सेंसर, इंफ्रारेड सेंसर्स और कैमरों से लैस किया जाएगा| बता दें कि फेंसिंग की मौजूदा प्रणाली एंटी इन्फिल्ट्रेशन ओब्सटेकल सिस्टम कहलाती है जो लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल से 700 मीटर दूर स्थित है| दोहरी कंटीली तारों से तैयार किया गया ये फेंस 2003 से 2005 के बीच में बनाया गया था| लेकिन बर्फबारी, खराब मौसम की वजह से ये तारें हर साल बड़े पैमानें पर खराब हो जाती थीं| इसके बाद आर्मी ने स्मार्ट फेंस लगाने की योजना बनाई जिसमें कई सेंसर लगे हुए थे| 

वर्तमान में यह फेंसिंग 740 किलोमीटर लंबे एलओसी के अधिकतर भाग में लगा हुआ है जहाँ उत्तरी कश्मीर में भारी बर्फबारी की वजह से हर वर्ष ज्यादा नुकसान पहुंचता है, जबकि दक्षिणी इलाके में कम बर्फबारी की वजह से कम नुकसान होता है| कुछ इलाकों में तो सर्दियों में 7 से 8 फीट बर्फबारी होती है, जिसके चलते बाड़ेबंदी बर्फ में दब जाती है| इस प्रकार प्रतिवर्ष भारी नुकसान पहुँचता है|


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