PM मोदी ने पांचवें आयुर्वेद दिवस पर देश को समर्पित किए दो राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान

रिपोर्ट: शिलनिधि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांचवें आयुर्वेद दिवस पर गुजरात (आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान, जामनगर) और राजस्थान (राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान,जयपुर) में दो आयुर्वेद संस्थानों का उद्घाटन कर देश को दो राष्ट्रीय संस्थान समर्पित किए। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेद की परंपरा देश के लिए काफी लाभकारी साबित हुआ है| कहते हैं कि जब कद बढ़ता है तो दायित्व भी बढ़ता है। आज जब इन 2 महत्वपूर्ण संस्थानो का कद बढ़ा है, तो मेरा एक आग्रह भी है कि अब आप सब पर ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी है जो International Practices के अनुकूल और वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप हो। मुझे विश्वास है कि हमारे साझा प्रयासों से आयुष ही नहीं बल्कि आरोग्य का हमारा पूरा सिस्टम एक बड़े बदलाव का साक्षी बनेगा।'

उन्होंने कहा कि इस बार का आयुर्वेद दिवस गुजरात और राजस्थान के साथ-साथ हमारे युवा साथियों के लिए भी विशेष है। कोरोना काल में हल्दी समेत अन्य चीज़ों ने इम्युनिटी बूस्टर का काम किया है| आयुर्वेद भारत की एक विरासत है, जिसके विस्तार में पूरी मानवजाति की भलाई है। आज ब्राजील की राष्ट्रीय नीति में आयुर्वेद शामिल है। आज दुनिया आयुर्वेद को लेकर जानना चाहती है और रिसर्च कर रही है. पीएम ने कहा कि देश में वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है, साथ ही दुनिया के करीब सौ से अधिक स्थानों पर आयुर्वेद की औषधि को लेकर रिसर्च चल रही है|

प्रधानमंत्री ने कहा, ''गर्व की बात है कि WHO ने ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन  (Global Centre for Traditional Medicine) की स्थापना के लिए भारत को चुना है। अब भारत से दुनिया के लिए इस दिशा में काम होगा। भारत को ये बड़ी जिम्मेदारी देने के लिए मैं WHO और उसके महानिदेशक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा कि समय के साथ आज हर चीज इंटीग्रेट हो रही है। स्वास्थ्य भी इससे अलग नहीं है। इसी सोच के साथ देश आज इलाज की अलग-अलग पद्धतियों के इंटीग्रेशन के लिए एक के बाद एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। इसी सोच ने आयुष को देश की आरोग्य नीति का अहम हिस्सा बनाया है।' उन्होंने कहा कि हमेशा से स्थापित सत्य रहा है कि भारत के पास आरोग्य से जुड़ी कितनी बड़ी विरासत है। लेकिन ये भी उतना ही सही है कि ये ज्ञान ज्यादातर किताबों में, शास्त्रों में रहा है और थोड़ा-बहुत दादी-नानी के नुस्खों में। इस ज्ञान को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया जाना आवश्यक है।'

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना से मुकाबले के लिए जब कोई प्रभावी तरीका नहीं था तो भारत के घर-घर में हल्दी, काढ़ा, दूध जैसे अनेक इंम्यूनिटी बूस्टर जैसे उपाय बहुत काम आये। इतनी बड़ी जनसंख्या वाला हमारा देश अगर आज संभली हुई स्थिति में है तो उसमें हमारी इस परंपरा का बहुत बड़ा योगदान है।'


Create Account



Log In Your Account