लोकसभा के बाद राज्यसभा में कृषि से जुड़े 2 बिल पास, विपक्षी दलों ने विधेयक को बताया किसान विरोधी

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

संसद के मानसून सत्र में लोकसभा के बाद आज राज्यसभा में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और  कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पास हो गए हैं. बिल ध्वनि मत से पास हुए. इस दौरान विपक्ष के जरिए काफी हंगामा भी किया गया. हालांकि उच्च सदन से बिल पास हो गए हैं. जिसके बाद अब विपक्ष राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा से दोनों बिल पास होने के बाद 8 ट्वीट किए। किसानों को बधाई दी। उन्होंने कहा, ''भारत के कृषि इतिहास में आज एक बड़ा दिन है। संसद में अहम विधेयकों के पारित होने पर मैं अपने परिश्रमी अन्नदाताओं को बधाई देता हूं। यह न केवल कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाएगा, बल्कि इससे करोड़ों किसान सशक्त होंगे।'' एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने एक बार फिर से किसानों को भरोसा दिलाया कि एमएसपी और सरकारी खरीददारी पहले की तरह जारी रहेगी।

इस दौरान टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ दी थी. डेरेक ओ ब्रायन और तृणमूल कांग्रेस के बाकी सांसदों ने आसन के पास जाकर रूल बुक दिखाने की कोशिश की और उसको फाड़ा. टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार पर धोखा देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकार ने संसद में हर नियम को तोड़ दिया. वे राज्यसभा टीवी के फीड काटते हैं ताकि देश देख न सके. उन्होंने आरएसटीवी को सेंसर कर दिया. हमारे पास सबूत हैं.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन के पटल पर विधेयक रखते हुए कहा कि दोनों बिल ऐतिहासिक हैं, इनसे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी। किसान देशभर में कहीं भी अपना अनाज बेच सकेंगे। मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि बिलों का संबंध न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नहीं है।

राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्षी सांसदों की ओर से नारेबाजी भी देखने को मिली. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसद वेल में पहुंच गए. कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राज्यसभा का समय ना बढ़ाएं. मंत्री का जवाब कल हो, क्योंकि अधिकतर लोग यही चाहते हैं.कांग्रेस ने इसका जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि वह और उनकी पार्टी किसानों के डेथ वॉरंट पर साइन नहीं करेंगे। राहुल गांधी ने भी ट्वीट करके सरकार पर निशाना साधा।

वाईएसआरसीपी सांसद पीपी रेड्‌डी ने कांग्रेस पर जोरदार पलटवार किया। उन्होंने सदन में कहा, ''कांग्रेस के पास इस बिल के विरोध का कोई कारण नहीं है। कांग्रेस दलालों के साथ खड़ी है। उन्‍होंने कांग्रेस का चुनावी घोषणापत्र लहराते हुए कहा कि यह पार्टी किसानों हित के नाम पर पाखंड कर रही है। कांग्रेस ने भी यही वादे घोषणापत्र में किए थे जिन्हें इस बिल में रखा गया है।'' रेड्‌डी के इस बयान पर कांग्रेस ने हंगामा किया। सांसद आनंद शर्मा ने रेड्‌डी से माफी मांगने को कहा।

आप सांसद संजय सिंह ने बिल को काला कानून बताया। यह भी कहा कि आने वाले समय में कृषि पूंजीपतियों के हाथ में चली जाएगी।

गौरतलब है कि कृषि सुधारों के लिए द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल 2020; द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइज एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस बिल 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल 2020 लाया गया है। इन तीनों ही कानूनों को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 5 जून 2020 को ऑर्डिनेंस की शक्ल में लागू किया था। तब से ही इन पर बवाल मचा हुआ है। केंद्र सरकार इन्हें अब तक का सबसे बड़ा कृषि सुधार कह रही है। लेकिन, विपक्षी पार्टियों को इसमें किसानों का शोषण और कॉर्पोरेट्स का फायदा दिख रहा है।

 


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