अविस्मरणीय रहेगा कृत्रिम मत्स्य प्रजनन के क्षेत्र में वैज्ञानिक स्व0 हीरालाल चौधरी का योगदान : ऋषिकेश

रिपोर्ट: रमेश पाण्डेय

MLC हरि सहनी को पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री बनाये सरकार : ऋषिकेश 

कृत्रिम मत्स्य प्रजनन के जनक हैं वरिष्ठ वैज्ञानिक स्व. हीरालाल चौधरी

COFFED के पहल से विश्व मछुआरा दिवस पर बिहार में शुरू हुई राजकीय समारोह 

पटना : बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ के प्रबंध् निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने ‘विश्व मछुआरा दिवस’ के अवसर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में उच्च गुणवत्ता वाली मछलियों (भारतीय मेजर कॉर्प तथा कतला, रेहू एवं नैनी) के अण्डा, फ्राय एवं फिगरलिंग की उपलब्धता में कठिनाई होती थी। खाद्य कृषि के दक्ष वरिष्ठ वैज्ञानिक स्व0 हीरालाल चौधरी के अविश्वमरणीय अनुसंधान में योगदान को भारतीय मछुआरा समाज कभी भुला नही पायेगा। उनके कृत्रिम मत्स्य प्रजनन के शोध् ने देश ही नहीं विश्व के मछुआरा समाज के आर्थिक उन्नति का रास्ता खोल दिया। 10 जुलाई को ‘विश्व मछुआरा दिवस’ पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह भारत के वैज्ञानिक स्व0 हीरालाल चौधरी (1921-2014) की देन है। उनके द्वारा मत्स्य अनुसंधान की दिशा में कदम बढ़ाते हुये उन्होंने रेवा मछली का कृत्रिम मत्स्य प्रजनन पहली बार एक्वेरियम में 10 जुलाई 1957 को किया था।

कृत्रिम मत्स्य प्रजनन के जनक हैं वरिष्ठ वैज्ञानिक स्व. हीरालाल चौधरी

कृत्रिम मत्स्य प्रजनन में मछली के पिट्यूटरी ग्लैंड का उपयोग किया गया। तत्पश्चात कतला, रेहू एवं नैनी मछली का प्रेरित प्रजनन किया गया। चूँकि यह विश्व में पहली बार हुई थी, इसलिए इसको प्रथम नीली क्रांति कहा जाता है। स्व0 चौधरी को पूरे विश्व में कृत्रिम मत्स्य प्रजनन का पिता भी कहा जाता है। भारत को इस अनुसंधन के वजह से विश्व स्तर पर मात्स्यिकी के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त हुई। उनके सम्मान में भारत सरकार ने 10 जुलाई को राष्ट्रीय मछुआरा दिवस घोषित किया है।

स्व0 हीरालाल चौधरी वरिष्ठ वैज्ञानिक सह खाद्य कृषि में दक्ष थे और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, सिफरी, कोलकात्ता में कार्यरत थे। उनका जन्म 21 नवम्बर 1921 को सिलहट, बंगाल ;अब बांग्लादेश में हुआ था। उनकी मृत्यु 12 सितम्बर 2014 को हुई। उनके गुरू के0एच0 ऑलीकुन्ही(1918-2010) वरिष्ठ मत्स्य वैज्ञानिक थे। उनको राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया जिसमें प्रमुख है चन्द्रकला होरा मेमोरियल गोल्ड मेडल (1961) रफी अहमद किदवई आवार्ड (भारतीय कृषि अनुसंधन), गामा-सिगमा डेल्टा गोल्डेन (यू0एस0ए0)(1994) वर्ल्ड एक्वाकल्चर आवार्ड (2002)। इन्होंने डाक्ट्रेट इन फिशरीजसाइंस, केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई की उपाघि हासिल की थी।

COFFED के पहल से विश्व मछुआरा दिवस पर बिहार में शुरू हुई राजकीय समारोह 

COFFED के द्वारा पहली बार वर्ष 2006 में मछुआरा दिवस का आयोजन किया गया। ऋषिकेश कश्यप, प्रबंध् निदेशक, COFFED के अनुरोध् पर वर्ष 2007 में तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री सह मत्स्य मंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा राज्यपाल के आदेश से मछुआरा दिवस मनाने का अधिसूचना राज्य सरकार ने अपने पत्रांक-2704 दिनांक-25.07.2007 द्वारा जारी किया। तत्पश्चात प्रत्येक वर्ष COFFED एवं राज्य सरकार के द्वारा भी समारोह आयोजित किया जा रहा है|

MLC हरि सहनी को पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री बनाये सरकार : ऋषिकेश 

वही विश्व मछुआरा दिवस के अवसर पर ऋषिकेश कश्यप ने बिहार विधान पार्षद हरि सहनी को पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री का दायित्व दिए जाने की वकालत की है| उन्होंने राज्य सरकार से माँग किया कि निषाद समाज के वरिष्ठ नेता एवं विधान पार्षद हरि सहनी को सरकार पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री बनाये। वर्तमान में वीआईपी नेता मुकेश सहनी के त्यागपत्र देने के बाद पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग का मंत्री पद खाली है।

गौरतलब है कि अभी हाल में भाजपा ने हरि सहनी को विधान पार्षद बनाया है। वे एक वरिष्ट नेता हैं और निषाद समाज से आते हैं|  हरि सहनी को मंत्री बनाये जाने से विभागीय परियोजनाओं को गति देने में काफी मदद मिलेगी। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग से हरि सहनी लंबे समय से जुड़े हुए है। मछुआरों को राजनीति की मुख्य धारा में लाने में हरि सहनी ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मछुआरों को उम्मीद है कि हरि सहनी को मंत्री बनाये जाने से उनके अधिकारों की रक्षा करने में काफी मदद मिलेगी। वर्तमान में मछुआ समाज से भाजपा का कोई मंत्री नहीं होने पर समाज अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है| पूर्व के वर्षो में मछुआ समाज से भाजपा का कोई न कोई नेता मंत्री बनता रहा है। ज्ञात हो कि निषाद समाज शुरू से ही भाजपा का समर्थक रहा है और इस पार्टी में ही अपना भविष्य देखता रहा है। ऐसे में पार्टी की भी जिम्मेदारी बनती है कि निषाद समाज के हितों का ख्याल रखे ताकि संघ पार्टी के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले सके।

 


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