भ्रष्टाचार का मौका नहीं मिलने से छटपटा रहा है विपक्ष: राजीव रंजन

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

पटना : विपक्षी दलों पर चुटकी लेते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि यह किसी से छिपा नहीं है कि जहां भाजपा के लिए राजनीति सेवा का जरिया है, वहीं राजद-कांग्रेस जैसे दलों के लिए राजनीति मात्र मेवा खाने का साधन है. राजद-कांग्रेस के राज में बिहार में आने वाली हर आपदा में राहत के नाम पर कैसी लूट मचती थी वह सभी को याद ही होगा. मलाई इनके नेता खाते थे और गाज अफसरों पर गिरती थी. आज कोरोना जैसी आपदा देखकर इनके मुंह लार टपक रही है, लेकिन एनडीए सरकार के सत्ता में रहने के कारण इनके हाथ चवन्नी भी नहीं लग रही. यही वजह है कि इनके नेता दिन-रात सरकार को कोसने में लगे हुए हैं. ‘आपदा’ में एक बड़े घोटाले का ‘अवसर’ नहीं मिल पाने की टीस इनके बयानों में साफ़ देखी जा सकती है.

श्री रंजन ने कहा “ इस समय राजद की बेचैनी कांग्रेस से कहीं ज्यादा है. कांग्रेसी राज्यों से टीकों की कालाबाजारी जैसी खबरों को देख कर उनका कलेजा मुंह को आ रहा होगा. कांग्रेस की संभावित ‘वसूली’ के बारे में सोच-सोच कर उन्हें जलन के मारे नींद तक नहीं आ रही होगी. गौरतलब हो कि जिन-जिन राज्यों में कांग्रेस की सत्ता है वहां कोरोना का दूसरा प्रवाह सबसे अधिक भयावह रहा है. पूरे देश के आधे से ज्यादा मामले कांग्रेस शासित राज्यों से ही आए थे, लेकिन स्थिति पर काबू पाने की कोशिशों के बजाये इनकी सरकार ‘वसूली’ में व्यस्त रही. यहां तक कि मीडिया के मुताबिक इनकी सरकारों की काहिली के कारण घर वापस लौटने को मजबूर गरीब मजदूरों से भी ‘वसूली’ की गयी थी.

उन्होंने कहा कि संकट में राजनीति करने वाले इन दलों ने ही झूठ बोलकर इस भीषण गर्मी और महामारी के बीच किसानों को दिल्ली बॉर्डर पर बैठा रखा है. इनके राज्यों में बीमारों को न तो अस्पतालों में बेड मिल रहे हैं और न ही समुचित इलाज. वास्तव में यह चाहते ही नहीं कि कोरोना का प्रकोप कम हो. जनता के सुख-चैन की बजाये यह लोग कोरोना आपदा में राजनीतिक अवसर देख रहे हैं. यह चाहते हैं कि यह महामारी ऐसे ही चले, स्थितियां और बिगड़ें, महामारी का प्रकोप और भड़के, जिससे इनके झूठ और दुष्प्रचार को और बल मिले और इन्हें केंद्र सरकार को बदनाम करने के साथ-साथ अपने शासित राज्यों में कमाई का मौका मिलते रहे.

 


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