रंगीन मछली पालन ईकाई स्थापित करने में सहायता करे बिहार सरकार : ऋषिकेश कश्यप

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

पटना : एन0सी0डी0सी0 द्वारा आयोजित अलंकारी मछलियों पर कार्यशाला में रंगीन मछलियों के उत्पादन, प्रजनन एवं वितरण बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया गया। कोलकाता के साल्ट लेक सिटी स्थित गोल्डन टूलीप होटल में आयोजित इस कार्यशाला में बिहार के 12 (बारह) किसान सम्मिलित हुए| बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ लि0 (कॉफेड), पटना के प्रबंध निदेशक-सह-फिश्कोफेड, नई दिल्ली के निदेशक ऋषिकेश कश्यप निषाद के नेतृत्व में किसान मत्स्यपालकों की टीम कार्यशाला में भाग लिया जिसमे देश के जाने-माने वैज्ञानिकों ने भी हिस्सा लिया|

कार्यशाला में शामिल होनेवाले बिहार के किसान मत्स्यपालक 

नरेश कुमार सहनी, चमकलाल सहनी  एवं बजेन्द्र नाथ सिन्हा निदेशक, कॉफ्फेड, पटना, नीलमणि, कृष्णा कुमार, राजेश कुमार सहनी, संजीव कुमार, अरूण कुमार, मनोज कुमार चौधरी, सुजीत कुमार चौधरी, रामवृक्ष चौधरी, आलोक कुमार सिंह एवं नेमचन्द्र केवट 

गौरतलब है कि रंगीन मछली उत्पादन के क्षेत्र में बिहार काफी पिछे है, वही पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल सबसे आगे है जिससे पश्चिम बंगाल में रंगीन मछली पालन, प्रजनन, विपणन एवं एक्सपोर्ट के मामले में देश में अब्बल है जबकि संसाधनों एवं रंगीन मछलियों की उपलब्धता के मामलें में बिहार, पश्चिम बंगाल से कई गुणा आगे है। बिहार में रंगीन मछलियां प्रमुखतया चैर, मौन, झील, आँक्बोलेक, रिभूलेट, डैम, नदियाँ एवं बड़े जलाशयों में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। रंगीन मछली में कोलिसा, चन्ना, पुन्टियस, कार्प एवं मौली की भेराईटी प्रमुख है। रंगीन मछलियों का पालन एवं प्रजनन घर-घर में महिलाएं आसानी से कर सकती है जिसमें राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, नई दिल्ली सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण एवं अनुदान उपलब्ध कराती है। राज्य सरकार गारंटी लें तो राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम सस्ते दर पर ऋण एवं 25 प्रतिशत तक अनुदान उपलब्ध कराती है|

ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि बेरोजगारी दूर करने में रंगीन मछली पालन बेहद कारगर साबित हो रही है। इस अलंकारी मछलियों का पालन, प्रजनन एवं वितरण पश्चिम बंगाल राज्य में बड़े पैमाने पर किसान मछुआरे कर रहे है। बिहार राज्य सरकार की जिम्मेवारी है कि वह आगे बढ़कर किसानों को मदद करें। केन्द्र सरकार के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, हैदराबाद रंगीन मछली पालन ईकाई स्थापित करने वाले किसानों को 50 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। इस यूनिट को स्थापित करने में 01 (एक) लाख रूपये की लागत आती है। श्री कश्यप ने राज्य सरकार से 50 प्रतिशत अनुदान देकर हर पंचायत में एक यूनिट स्थापित करने की मांग की है इससे राज्य में अलंकारी मछली उत्पादन में काफी वृद्धि होगी।

ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि रंगीन मछली पालन को लेकर युवा किसानों में काफी उत्साह है। रंगीन मछली पालन से राज्य में बेरोजगारी दूर करने मे भी मदद मिलेगी। एक यूनिट स्थापित करने पर कम से कम दो लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलेगा। इसके अलावे दो लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ेगे। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि बहुत कम जगह एवं कम लागत में रंगीन मछली का उत्पादन इकाई शुरू किया जा सकता है। बिहार के लिए सबसे बड़ी सुविधा है कि यहाँ पर रंगीन मछली बाजार के लिए कोई चिंता की बात नहीं हैं। अभी यहाँ के बाजार में पश्चिम बंगाल से रंगीन मछली आयात की जा रही है।

 


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