पटना : राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र सहनी ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में मचे बवाल की घोर भर्त्सना की है| उन्होंने कहा कि इस कानून के औचित्य को समझे बिना बेवजह लोग प्रदर्शन और हिंसक झड़प जैसी घटनाओं में लिप्त हैं जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है| नागरिकता संशोधन कानून को देशहित में बताते हुए उपेन्द्र सहनी ने कहा कि इससे पड़ोसी देशी से भारत आये शरणार्थी और घुसपैठियों में फर्क करने में आसानी होगी| नागरिकता संशोधन कानून के प्रभावी होने के बाद देश के अंदर असामाजिक गतिविधियों में लिप्त घुसपैठियों को भारत से बाहर करने का रास्ता साफ़ होगा|
गौरतलब है कि इस वक्त नागरिकता संशोधन कानून पर देशभर में बवाल मचा हुआ है| पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा और नगालैंड समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं| विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों की माने तो यह धर्म को बांटने वाला और धार्मिक भेदभाव पर आधारित कानून है|
नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 : भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसके द्वारा सन 1955 की नागरिकता कानून को संशोधित करके यह व्यवस्था की गयी है कि 31 दिसम्बर सन 2014 के पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिन्दू, बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता प्रदान की जा सकेगी। इस विधेयक में भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए आवश्यक 11 वर्ष तक भारत में रहने की शर्त में भी ढील देते हुए इस अवधि को केवल 6 वर्ष तक भारत में रहने की शर्त के रूप में बदल दिया गया है।
श्री सहनी ने कहा कि वोट बैंक की सियासत करनेवाले दल एवं उससे जुड़े नेता बेवजह इस कानून का विरोध कर अपनी राजनीति चमकाने की नाकाम कोशिश में जुटे हैं| यह कानून सर्व धर्म-समुदाय के हित में है जिससे मुस्लिम बुद्धिजीवी भी भलीभांति अवगत है| हर वर्ग को इस कानून का समर्थन करना चाहिए, क्योकि यह कानून देश को लूटनेवाले एवं शांति-व्यवस्था भंग करनेवाले घुसपैठियों को रोकने का काम करेगा।