मछुआरों के हित में केन्द्र प्रायोजित राहत एवं बचत योजना लागू करें बिहार सरकार : ऋषिकेश कश्यप

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

पटना 22 जून: बिहार सरकार 15 जून से 15 अगस्त 2018 तक गंगा, गंडक एवं अन्य सदाबहार नदियों में घोषित  निःशुल्क मछली शिकारमाही पर रोक लगा दी है, जिससे राज्य के लाखो मछुआरे बेरोजगार हो गये हैं। बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ लि0 के प्रबंध निदेशक-सह-फिश्कोफेड के निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने यह आरोप लगाते हुए नाराजगी जाहिर की है| उन्होंने कहा कि बेरोजगारी से बचाने के लिए केन्द्र ने बिहार सरकार से मछुआरों के लिए राहत एवं बचत योजना लागू करने का आदेश दिया था, बावजूद इसके अबतक लागू नहीं किए जाने से मछुआरा इस योजना के लाभ से वंचित हैं|

इस सन्दर्भ में संवाददाता सम्मेलन कर ऋषिकेश कश्यप ने कहा है कि केन्द्र सरकार ने यह नीति बनायी है कि जिन राज्यों की सरकारें अधिनियम के द्वारा मानसून में सदाबहार नदियों में मछली शिकारमाही पर प्रतिबंध लगाएगी, उन राज्य के मछुआरों को केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा राहत दिया जाएगा। इस योजना के अर्न्तगत 33.3 प्रतिशत राशि 3000/- रूपये मछुआरों को 33.3 प्रतिशत राशि 3000/- रूपये केन्द्र सरकार एवं 33.3 प्रतिशत राशि 3000/- रूपये राज्य सरकार को राहत कोष में जमा करने होते हैं। कुल 9000/- रूपये राशि दो माह 15 जून से 15 जूलाई 4500/- एवं 15 जूलाई से 15 अगस्त में 4500/- सौ रूपये की दर से मछुआरों के बीच वितरण किया जाना है। इस योजना को लागू करने के लिए कृषि मंत्रालय, भारत सरकार ने अपने पत्रांक-12012, दिनांक- 21 जूलाई 2014 के द्वारा राज्य सरकार को आदेश दिया था। 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस योजना को लागू नहीं कर लाखों मछुआरों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न कर रही है। राज्य सरकार से मांग करते हुए ऋषिकेश कश्यप ने कहा है कि मछुआरों के हित में केन्द्र प्रायोजित राहत एवं बचत योजना को यथाशीघ्र लागू किया जाय, निःशुल्क शिकारमाही परिचय पत्र निर्गत किया जाय, प्रतिषेध के संबंध में दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित किया जाए ताकि लाखों मछुआरों को इस योजना का लाभ मिल सकें|

गौरतलब है कि बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम, 2006 की धारा-13(i) के द्वारा 15 जून से 15 अगस्त तक सदाबहार नदियों में शिकारमाही करने पर प्रतिषेध है एवं धारा-17(ii) के द्वारा रोक के बावजूद अगर मछुआरा नदियों में शिकारमाही करते हैं तो मछुआरों को छः माह तक का कारावास या पॉच सौ रूपयें जुर्माना अथवा दोनों से दण्डनीय होगा ऐसा अपराध संज्ञेय होगा, का प्रावधान किया गया हैं। जानकारी के आभाव में मछुआरे नदी में शिकारमाही के लिए जाते हैं जिसे पुलिस पकड़कर जेल में डाल दे रही है|  इस प्रकार मछुआरों का मानसिक एवं आर्थिक दोहन किया जा रहा है। 

इस अवसर पर कॉफ्फेड के निदेशक अजेन्द्र कुमार, नरेश कुमार सहनी, कॉफ्फेड के पूर्व अध्यक्ष, राकेश कुमार निषाद एवं मिडिया प्रभारी जयशंकर उपस्थित थे।

 


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