पटना 22 जून: हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (से0) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने श्री श्री रविशंकर प्रसाद के बयान अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आज कुछ समाचार पत्रिका में हमने देखा है जिसमें धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर जी ने एक ऐसी बातें कह दी हैं जिसे मैं समझता हूं कि धर्मगुरु और एक संत के मुखारविंद से वह बात नहीं करनी चाहिए| आरक्षण के सन्दर्भ में धर्मगुरु ने कहा है जाति के आधार पर आरक्षण नहीं चलेगा| इस तरह के बयान से विद्रोह हो जाएगा| हम समझते हैं कि जब हम संविधान की बात करते हैं तो संविधान में जो बातें कही गई थी| सामाजिक और शिक्षण के आधार पर तब तक आरक्षण चलता रहेगा| जब तक सामाजिक स्टेटस नहीं बराबर हो जाए| आज के दिन में भी जाति के नाम पर मंदिर में प्रवेश वर्जित है| कोई भी दलित नेता मंदिर में कहीं किसी कारण से जाता है तो मंदिर को धोने की बात होती है| कहने का मतलब हिंदुस्तान में बिहार में जाति के आधार पर ही ऊंच-नीच की बात इसीलिए मैं समझता हूं कि जब तक जातिगत मामले को ठीक नहीं कर दिया जाए| मानसिक और सामाजिक उन्नति जब तक ठीक नहीं हो तो आरक्षण की मांग तो होती रहेगी|
श्री मांझी ने कहा कि यह हम लोग कहते हैं कि जाति के आधार पर अगर देखा जाए तो 85 प्रतिशत लोग आज गरीब हैं और 85 प्रतिशत मैं विभिन्न जातियां आज सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण से है आज एकदम नीचे पायदान पर है| आज भी 15% मे कुछ जातियां हैं जो अच्छे से अच्छे पद पर हैं| वह आर्थिक दायरे में भी आते हैं| हम लोग की भी मांग यही है की 85 प्रतिशत के लिए संविधान के दायरे में साडे 49 प्रतिशत का आरक्षण यानी 15% के लिए साडे 50 प्रतिशत का आरक्षण मिले यह कहां का न्याय है|
पूर्व सीएम मांझी ने कहा कि यह हम श्री श्री 108 रविशंकर जी से पूछना चाहते हैं और यह तो हिंदुस्तान है धरती है अनेक संस्कृतियां अनेक भाषा अनेक जातियों की और इसीलिए महात्मा बुद्ध ने भी मध्यम मार्ग की बात की थी| लेकिन यह विद्रोह हो जाने की आज लोग बात कह रहे हैं| हम तो उनको धन्यवाद दे रहे हैं कि वह 85% जो जनमानस हैं, जितनी भी जातियां हैं उनको विद्रोह करना चाहिए कि उनको 49.5 प्रतिशत का आरक्षण मिल रहा है | हम तो समझते हैं ठीक है अगर यही वह करना चाहते हैं | इस देश में कि 85 प्रतिशत विद्रोह हो जाए तो हम तो समझते हैं कि उनको संत नही उनको राजनीतिक रुप में आ करके अब नेतृत्व करना चाहिए | खास करके उनका नेतृत्व करना चाहिए जो 85 प्रतिशत लोग 49.5 प्रतिशत में जिंदगी जी रहे हैं और 15% लोग 50.5 प्रतिशत का लाभ ले रहे हैं | जाति के आधार पर तो ऐसी परिस्थिति में जातिगत भावना की बात वो करते हैं तो मैं कहता हूं कि वह 85 प्रतिशत लोगों के लिए वह आरक्षण के लिए लड़ाई करें | उनका अगर विद्रोह होता है तो उसमें हम उनका साथ देंगे |