अच्छा आहार मजबूत आधार

रिपोर्ट: साभार

कितना अच्छा हो कि बच्चे की खुराक में कैल्शियम, विटामिन्स, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट सरीखे तमाम जरूरी पोषक तत्व हों, जो बचपन से उसे सेहतमंद आधार दे सकें। बच्चे के खाने को कैसे बनाएं सेहत भरा, बता रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी आपके छोटू का आज और कल दोनों ही सेहतमंद हो, यकीनन आप यही चाहती होंगी। पर अक्सर ऐसा हो नहीं पाता। कई बार कारण आपके जेहन में पल रही भ्रांतियां होती हैं तो कई बार जानकारियों का अभाव। जाने-अनजाने आप उसकी थाली से पोषक तत्वों को दूर कर देती हैं। ऐसा न हो, इसलिए जरूरी है कि बच्चे की खुराक से जुड़ी कुछ बुनियादी जानकारियां आपको पता हों। रागी में है कैल्शियम हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम जरूरी है, यह तो आप जानती ही होंगी। पर, क्या आपको यह मालूम है कि रागी में भरपूर कैल्शियम होता है? अब आपके जेहन में यह भी कौंध रहा होगा कि आप अपने बच्चे को रागी किस तरह खिला सकती हैं? शिशु रोग विशेषज्ञ डॉं संजय निरंजन कहते हैं कि रागी का इस्तेमाल आप आटे के तौर पर कर सकती हैं। बच्चे को सप्ताह में एक दिन रागी के आटे की रोटी दीजिए या फिर आप गेहूं के आटे में भी इसे मिलाकर प्रयोग कर सकती हैं। दही के हैं कई फायदे दही एक ऐसा आहार है, जिसे छह माह का होने के बाद आप अपने बच्चे को दे सकती हैं। कैल्शियम से भरपूर दही बच्चे की हड्डियों को मजबूत बनाएगा। विटामिन डी दांतों, नाखूनों की मजबूती एवं मांसपेशियों के सही ढंग से काम करने में सहायता करता है। दही में हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और गुर्दों की बीमारियों को रोकने की अद्भुत क्षमता है। अमेरिका के आहार विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकाला है कि दही के नियमित सेवन से आंतों के रोग और पेट की बीमारियां भी नहीं होती हैं। दही हमारे खून में बनने वाले कोलेस्ट्रॉल को भी बढ़ने से रोकता है। देसी नुस्खों पर जाएं तो दही में शहद मिलाकर चटाने से छोटे बच्चों के दांत आसानी से निकलते हैं। यूं तो दही किसी भी रूप में खाया जाए तो फायदा ही करता है, पर उसमें यदि सेब के टुकड़े, मैश किया हुआ आलू बुखारा या मैश किया हुआ केला मिलाकर बच्चे को दिया जाए, तो उसके स्वाद और फायदे दोनों में इजाफा हो जाएगा। नॉनवेज भी करें खुराक में शामिल नॉनवेज और बच्चों को? क्या आपको भी लगता है कि मांसाहार केवल बड़ों का आहार है? ऐसा नहीं है। डॉं संजय की मानें तो बच्चों को एक साल की उम्र के बाद से अच्छी तरह से पका नॉनवेज दिया जा सकता है। नॉनवेज में आयरन, प्रोटीन, फास्फोरस सरीखे कई जरूरी तत्व पाए जाते हैं जो बच्चों के विकास में सहायक साबित होते हैं। आप बच्चे को एक साल के बाद अंडा भी खिला सकती हैं। बच्चों के लिए नॉनवेज सूप एक अच्छा विकल्प हो सकता है। कद्दू है पोषण से भरपूर कद्दू यानी सीताफल काफी पोषक होता है। इसमें खास तौर पर बीटा केरोटीन पाया जाता है, जिससे विटामिन ए मिलता है। बीटा केरोटीन एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो शरीर को फ्री रैडिकल से निपटने में मदद करता है। कद्दू व इसके बीज विटामिन सी और ई, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, जिंक, प्रोटीन और फाइबर आदि के भी अच्छे स्त्रोत होते हैं। प्रयोगों में पाया गया है कि इसके छिलके में भी एंटीबैक्टीरियल तत्व होते हैं, जो संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं से आपके बच्चे की रक्षा करेंगे। यह रेशेदार होता है यानी इसमें फाइबर भी काफी मात्रा में पाया जाता है, जो पेट साफ रखता है। इनसे नहीं होता है जुकाम रस वाले फल यानी संतरा, मौसमी आदि आपके बच्चे के लिए काफी फायदेमंद आहार हैं। पर, हमारे बीच एक ऐसी धारणा बन चुकी है कि विटामिन सी से भरपूर इन फलों से बच्चों को जुकाम हो जाता है। इस बाबत न्यूट्रीशनिस्ट निरुपमा सिंह कहती हैं कि रस वाले फलों से बच्चों को जुकाम हो जाएगा, यह विचार एक भ्रांति मात्र है। इन फलों में मौजूद विटामिन सी बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही विटामिन सी में घाव को जल्दी भरने का गुण भी है। इतना ही नहीं, विटामिन सी शरीर के आयरन सोखने की क्षमता को भी बढ़ाता है। लिहाजा बच्चों को नियमित तौर पर मौसमी फल देने चाहिए। हां, इस बात का ख्याल रखें कि फल सीधा फ्रिज से निकला न हो। आलू बुखारा बनाएगा मजबूत आलू बुखारा एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्त्रोत है। लिहाजा यह रोगों से लड़ने की शक्ति देता है। आलू बुखारा विटामिन ए, बीटाकैरोटिन और विटामिन सी का भी अच्छा स्त्रोत है। आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण यह रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मददगार होता है। साथ ही इसमें पोटैशियम भी भरपूर मात्रा में होता है, जो शरीर की कोशिकाओं को मजबूत बनाता है और रक्तचाप को नियंत्रण में रखता है। आंखें रहेंगी सलामत गाजर, चुकंदर, टमाटर, आम आदि रंगीन फल देखने में जितने अच्छे लगते हैं, उतने ही आपके बच्चे की सेहत के लिए भी अच्छे हैं। इन फलों में विटामिन ए प्रचुर मात्रा में होता है। विटामिन ए आपके बच्चे की आंखों को सलामत रखेगा और उसकी रोग प्रतिरोधी क्षमता को मजबूत भी बनाएगा। दाल दें हर रोज बच्चे के छह महीने के होते ही उसे नियमित दाल का पानी देना चाहिए...बुजुर्गों की इस सलाह भर से अंदाज लगा लीजिए कि बच्चे के लिए दाल कितनी फायदेमंद होती है। दालें जैसे उड़द, मूंग, राजमा आदि प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, आयरन सरीखे पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। अगर आप शाकाहारी हैं तो दालों को हर दिन की खुराक में शामिल कीजिए। हर दाल में अलग-अलग गुण हैं, जैसे मसूर की दाल की प्रकृति गर्म, शुष्क, रक्तवर्धक और खून में गाढ़ापन लाने वाली होती है। दस्त, कब्ज व अनियमित पाचन क्रिया में मसूर की दाल का सेवन फायदेमंद होता है। चने की दाल में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन आदि पोषक तत्व होते हैं जो डायबिटीज, पीलिया, कब्ज आदि समस्याओं में कारगर होते हैं। मूंग की दाल बुखार और कब्ज में फायदेमंद होती है और आसानी से पचती है। हरी सब्जियों से बढ़ता है खून आजकल की लाइफस्टाइल में अक्सर बच्चों में हिमोग्लोबिन की कमी देखी जाती है। आपके लाडले के साथ ऐसा न हो, इसलिए आप उसे नियमित तौर पर हरी सब्जियां पालक, लौकी आदि दें। हरी सब्जियों में मौजूद आयरन आपके बच्चे को एनमिक होने से बचाता है। हरी सब्जियों से बढ़ता है खून आजकल की लाइफस्टाइल में अक्सर बच्चों में हिमोग्लोबिन की कमी देखी जाती है। आपके लाडले के साथ ऐसा न हो, इसलिए आप उसे नियमित तौर पर हरी सब्जियां पालक, लौकी आदि दें। हरी सब्जियों में मौजूद आयरन आपके बच्चे को एनमिक होने से बचाता है। खाने से ऐसे कराएं दोस्ती बच्चे को अचानक से सॉलिड खाना देना शुरू नहीं करें। शुरुआत में उसे चावल-दाल या खिचड़ी आदि अच्छे तरीके से मैश करके और छानकर दें। कम-कम मात्रा में कुछ-कुछ घंटों के अंतराल पर खाना खिलाएं। धीरे-धीरे खाने की मात्रा बढ़ाएं। बच्चे को कभी भी जबरदस्ती कोई चीज न खिलाएं। हां, खाने के दौरान आप उसका ध्यान किसी और चीज की ओर जरूर लगा सकती हैं। ऐसा करने से बच्चा आसानी से खाना खा लेता है। बच्चे के लिए खाना बनाते वक्त साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। अगर ब्लेंडर में खाने का पेस्ट बना रही हैं तो ध्यान रखें कि जार अच्छी तरह से साफ हो। शुरुआत में बच्चे के खाने में नमक, चीनी या फिर कोई मसाला न डालें। बच्चा जितना सादा खाना खाएगा, उतनी आसानी से उसे पचा पाएगा। बच्चे के लिए खाना बनाते वक्त पानी की संतुलित मात्रा डालना जरूरी है ताकि आपको अतिरिक्त पानी फेंकने की जरूरत न पड़े और न ही खाना जलने का डर हो। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि बच्चा कोई भी ऐसी चीज न खाए, जो उसके गले में अटक जाए। हमेशा बैठाकर ही उसे खाना खिलाएं।


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