9 महीने में 14% गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले रुपया 72.91 के निचले स्तर पर पहुंचा,

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट थम नहीं रही। बुधवार को यह 22 पैसे कमजोर होकर 72.91 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच गया। हालांकि, मिडसेशन में रिकवरी आ गई। रुपया मंगलवार को 24 पैसे गिरकर 72.69 पर बंद हुआ था। कच्चा तेल महंगा होने और शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली से रुपए पर दबाव बढ़ा। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक पूरी कोशिश कर रहे हैं कि रुपए की कीमत हद से ज्यादा न गिरे।

गौरतलब है कि देश के शेयर बाजार बुधवार को मजबूती के साथ खुले| प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स सुबह 10.26 बजे 25.88 अंकों की मजबूती के साथ 37,439.01 पर था| निफ्टी भी लगभग इसी समय 10.75 अंकों की मजबूती के साथ 11,298.25 पर कारोबार करता देखा गया| बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 133|29 अंकों की मजबूत बढ़त के साथ 37546.42 खुला| नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 52.60 अंकों की बढ़त के साथ 11,340.10 पर खुला| अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का रेट बुधवार को 2% बढ़कर 79.34 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। उधर, अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर तेज होने के आसार हैं। इससे भी करंसी बाजार में दबाव बढ़ा। 

रूपये में आई गिरावट के कारण तेल कंपनियों पर दोहरी मार पड़ेगी। उनके लिए क्रूड का इंपोर्ट महंगा हो जाएगा। इससे पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ेंगे।  विदेशी कर्ज चुकाने के लिए सरकार ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ेगी। विदेशों में पढ़ाई और घूमने-फिरने का खर्च बढ़ेगा। क्योंकि, करंसी एक्सचेंज के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। गिरावट बढ़ने पर आरबीआई ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है। अक्टूबर में आरबीआई मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा। आईटी और फार्मा कंपनियों को रुपए की गिरावट से फायदा होगा। क्योंकि, इनका ज्यादातर कारोबार एक्सपोर्ट पर आधारित है। इस साल आईटी और फार्मा कंपनियों के शेयरों में इसी वजह से तेजी आई।  
डॉलर के मुकाबले इस साल दुनियाभर की मुद्राओं में गिरावट आई। लेकिन, एशिया में भारतीय रुपए का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। जनवरी से अब तक रुपया 14% गिर चुका है।

 


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