केंद्र व राज्‍य की सरकार वोट की राजनीति में हैं मस्‍त : अनिल कुमार

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

पटना : जनतांत्रिक विकास पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अनिल कुमार ने भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह के बिहार दौर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह देश का दुर्भाग्‍य है कि केंद्र और राज्‍य सरकार को सिर्फ वोट की राजनीति में मस्‍त हैं। उन्‍हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि देश की जनता किस हाल में है। तभी तो कुर्सी के लिए एक ओर नीतीश कुमार शाही भोज में शाह को बुलाते हैं और दूसरी ओर राज्‍य में आर्थिक तंगी से लोग आत्‍महत्‍या कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि बिहार के रोहतास में मां-बेटे ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली। घटना रोहतास जिला के सीढ़ी ओपी के बैसपूरा गांव की है, जहां महिला कंचन कुंवर ने अपने 13 वर्षीय पुत्र अंकित के साथ इस घटना को अंजाम दिया। दोनों ने जहर खाकर अपनी ईहलीला समाप्त कर ली। आर्थिक तंगी के कारण उसके परिवार का भरण पोषण नहीं चल पा रहा था। इसकी जिम्‍मेवारी कौन लेगा मुख्‍यमंत्री जी?

श्री कुमार ने कहा कि अमित शाह बिहार राजनीति के सतरंज पर अपनी बिसात बिछाने आये थे। यही कारण था कि उनके भाषण से बिहार और बिहारी की चिंता नहीं थी। उनके एजेंडे में बिहार का विकास और बिहार में किसान, छात्र, मजदूर, दलित, महादलित, युवा, रोजगार व महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध को जगह नहीं मिली। ये दुर्भाग्‍यपूर्ण है। चुनावी साल है। ऐसे में उन्‍हें बताना चाहिए था कि बिहार को विशेष राज्‍य का दर्जा और विशेष पैकेज कब मिलेगा? या फिर मिलेगा भी या नहीं? युवाओं को रोजगार मिलेगा या नहीं? दलितों और महादलितों के अधिकार के साथ खिलवाड़ कब बंद होगा? किसान आत्‍महत्‍या करने को मजबूर है। नौजवानों की उम्‍मीद पर लाठियां बरसाई जा रही हैं। महिलाओं की अस्‍त लुट रही है। दलित – महादलित को प्रताडि़त करने के मामले में इजाफा हुआ है। मगर, इनसे इन लोगों को कोई मतलब नहीं है।

श्री कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार को अपने डिनर डेट में अमित शाह से बिहार का हक मांगना चाहिए था। मगर उन्‍होंने ऐसा कुछ नहीं किया। विशेष राज्‍य का दर्जा की मांग पर वे सिर्फ राज्‍य की जनता को बरगला रहे हैं। अगर सच में उनकी मंशा बिहार को विशेष राज्‍य का दर्जा दिलाने की होती तो उन्‍हें अमित शाह से मांगना चाहिए था। अनिल कुमार ने नियोजित शिक्षक के मामले में केंद्र और राज्‍य सरकार को घेरा। उन्‍होंने कहा कि दोनों सरकारें नौजवान विरोधी हैं। इसलिए गुरूवार को बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों को केंद्र से उस समय निराशा हाथ लगी, जब केंद्र सरकार ने बिहार सरकार का समर्थन करते हुए समान कार्य के लिए समान वेतन का विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने बिहार सरकार के स्टैंड का समर्थन किया है। केंद्र के तरफ से दाखिल हलफनामे में कहा गया कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि ये समान कार्य के लिए समान वेटर की कैटेगरी में नहीं आते हैं।

उन्‍होंने कहा कि बीते दिनों दर्जन भर से ज्‍यादा बलात्‍कार की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, सीआईडी कमजोर वर्ग के आंकड़े कहते हैं कि हर साल राज्‍य से 2000 से अधिक बच्चियां गायब हो रही हैं। लेकिन इसकी फिक्र किसको पड़ी है। पिछले पांच सालों से तो सूबे के मुखिया का ध्‍यान अपनी कुर्सी बचाने और महागठबंधन – गठबंधन खेलने में है। सुशासन बाबू का बिहार, अपराध के दलदल में दिन-प्रतिदिन धंसता ही नजर आ रहा है। अपराधियों के कहर से बिहार कराह रहा है। लगातार सरकार के सुशासन के सारे दावे झूठे साबित हो रहे हैं। चाहे वो फतुहा में स्‍कूली छात्र की हत्‍या हो, या फिर सारण जिले में स्कूल के प्रिंसिपल सहित छह लोगों द्वारा छात्रा से रेप, गोपालगंज में एक मासूम को अगवा करने के बाद उसकी हत्या, नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में दिन दहाड़े एक शख्स की हत्या, मुजफ्फरपुर में स्वर्ण व्यवसायी की गोली मार हत्‍या, पटना के मालसलामी में जहर देकर महिला की हत्‍या, समस्‍तीपुर में दिनदहाड़े एक शिक्षक की हत्‍या, भोजपुर में एक ही दिन में दो लोगों की हत्‍या। ऐसी घटनाओं से बिहार कराह रहा है। मगर नीतीश कुमार इन सब से बेखबर सुशासन राग अलाप रहे हैं। जनतांत्रिक विकास पार्टी राज्‍य सरकार से पूछना चाहती है कि क्‍या ये जंगलराज से भी बद्दतर नहीं है ?

उनहोंने कहा कि जनतांत्रिक विकास पार्टी भाजपा नेताओं से जानना चाहती है कि उनके आका ने बिहार की जनता को क्‍यों भूल गए। उन्‍होंने कहा तो सही कि बिहार बदलाव की धरती है। मगर वे ये भूल गए कि बिहार लोकतंत्र की जन्‍म स्‍थली है और अगर इसमें लोक की उपेक्षा हुई, तो जनता कांग्रेस की तरह उन्‍हें भी सत्ता से जमींदोज करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। जनतांत्रिक विकास पार्टी उनसे जानना चाहती है कि 2013 में जो दावे बिहार को लेकर नरेंद्र मोदी ने किये थे, उनकी स्थिति क्‍या है। साथ ही प्रधानमंत्री की पहल पर सांसदों द्वारा गांव गोद लिया गया था। आखिर वे गावं आज भी क्‍यों बदहाल है?   


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