प्रधानमन्त्री के बजाए कांग्रेस के चीनी मित्रों को समझाएं मनमोहन सिंह: डॉ संजय जायसवाल

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

पटना : पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने उनसे कई सवाल पूछे. उन्होंने कहा “ भारत चीन सीमा पर चल रहे विवाद पर प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी को नसीहत देने से पहले मनमोहन सिंह जी को हमारी सलाह है कि एक बार अपने कार्यकाल को याद कर लेना चाहिए. गाँधी परिवार के प्रभाव में अभी तक डूबे मनमोहन सिंह जी को प्रधानमन्त्री मोदी को चीन के खिलाफ इस्तेमाल किये गये शब्दों पर आपत्ति है. उन्हें पहले तो यह बताना चाहिए कि आखिर उन्हें और कांग्रेस को चीन से इतना प्रेम क्यों है? क्यों उनकी पार्टी के बड़े नेता तो दूर, किसी प्रवक्ता की भी चीन की आलोचना करने की हिम्मत नहीं पड़ रही है? मनमोहन सिंह जी को बताना चाहिए कि उनके कार्यकाल में कांग्रेस और चीन की पार्टी के बीच में किस समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे? आखिर उस समझौते में ऐसा क्या था जिसे कांग्रेस ने आज तक सार्वजनिक नहीं किया है? इसके अलावा वह यह भी बताएं कि डोकलाम विवाद के समय राहुल जी और चीनी राजदूत के बीच हुई गुप्त मुलाकात पर क्या उन्होंने राहुल गाँधी को नसीहत दी थी?”

डॉ जायसवाल ने कहा “ आज प्रधानमन्त्री मोदी को बयान देने की कला सीखा रहे मनमोहन जी को याद करना चाहिए कि कैसे शर्म अल शेख में उनके दिए एक बयान ने बलूचिस्तान के मुद्दे पर पूरी दुनिया के सामने देश को कटघरे में खड़ा कर दिया था. उन्हें याद करना चाहिए कि कैसे उन्होंने मुशर्रफ से गले मिलते हुए भारत-पाकिस्तान दोनों को आतंकवाद का एक समान शिकार बताया था. मनमोहन सिंह जी यह जान लें कि यह मोदी सरकार है जो ‘कड़ी निंदा’ करने की बजाए उसे उन्ही की भाषा में जवाब देना जानती है. अगर उन्हें चीन के खिलाफ़ भारत सरकार का सख्त रवैया नहीं पसंद तो अपने चीनी मित्रों को अपनी हरकतों से बाज आने की नसीहत दें.”

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा “ सत्ता से हटने के इतने दिनों बाद भी मनमोहन सिंह जी अभी तक गाँधी परिवार के प्रभाव से बाहर नहीं निकले हैं. यही कारण है कि अपने नेताओं को चीनी प्रेम कम करने सलाह देने के बजाए वह उल्टे प्रधानमन्त्री मोदी के सख्त रवैए की आलोचना कर रहे हैं. मनमोहन सिंह जी को समझना चाहिए कि उनके कार्यकाल में हुए ऐतिहासिक घोटालों, हिन्दुओं को आतंकवादी घोषित करने के प्रयासों, अलगाववादियों को मिलने वाली सहूलियतों के बावजूद देश उनके ज्ञान की इज्जत करता है. उस समय उनकी मजबूरियां रही होंगी लेकिन आज वह उनसे मुक्त हैं. इसलिए उन्हें हमारी सलाह है कि किसी के दबाव में आ कर कुछ भी बोल देने की बजाए, जनभावना और देश के हित को देखते हुए अपनी सलाह दें.”            


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