सामान्य वर्ग के आर्थिक पिछड़ों को 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था पर रोक लगाने से चुनाव आयोग के इनकार करने के बाद इस संबंध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई| सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मामले में वह तुरंत विचार करने नहीं जा रहा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने कहा कि 28 मार्च को विचार करेंगे कि मामले को संविधान बेंच के पास भेजा जाए या नहीं? कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वह जरूरी पहलुओं का शॉर्ट नोट तैयार करके अगली सुनवाई में पेश करें। बेंच में जस्टिस दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि इस केस की सुनवाई संवैधानिक बेंच के सामने की जाए क्योंकि यह बुनियादी ढांचे का मामला है| इस पर कोर्ट ने सभी पक्षों से लिखित में यह मांग रखने को कहा|
दरअसल, नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने इसी साल (2019) 7 जनवरी को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य श्रेणी के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया था| अलग से आरक्षण की यह व्यवस्था लागू करने के लिए संविधान में संशोधन किया गया| 9 जनवरी को संशोधित बिल राज्यसभा में लंबी बहस के बाद पारित हो गया और अगले ही दिन लोकसभा से भी इस बिल को मंजूरी मिल गई| उल्लेखनीय है कि संसद के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद 12 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उस पर हस्ताक्षर कर दिए, जिसके साथ ही यह व्यवस्था लागू हो गई|