बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति का हुआ अभिभाषण,तीन तलाक पर हो सकता है मतभेद

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

नई दिल्ली - संसद के बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति द्वारा दोनो सदनों को संबोधित करने से हुई। उन्होंने सभी दलों से तीन तलाक के विधेयक को पास करने की अपील की। अपने भाषण में उन्होंने मोदी सरकार की उपलब्धियों से लेकर नीतियों तक का उल्लेख किया। सरकार की ओर से बनाए गए अभिभाषण में राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि देश में एक साथ चुनाव होने चाहिए| राष्ट्रपति ने महिलाओं की सुरक्षा पर बात रखते हुए मुस्लिम महिलाओं के लिए लाए गए तीन तलाक बिल की तारीफ की। उन्होंने कहा कि ये बिल मुस्लिम महिलाओं के हित में है और उम्मीद है कि ये संसद में पास होगा। आजादी के बाद पहली बार पुरुष रिश्तेदारों के बिना, 45 साल से ज्यादा आयु की महिलाओं के हज पर जाने की पाबंदी हटा दी गई है। इस वर्ष 1,300 से ज्यादा महिलायें बिना मेहरम के हज पर जा रही हैं। गरीबों के लिए सरकार की ओर से उठाए गए बड़े कदमों में आधार को शामिल करते हुए कोविंद ने कहा कि आधार ने गरीबों को अधिकार दिलाने में आधार का बड़ा योगदान रहा है। किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने के लिए प्रतिबद्ध है। किसानों को उनकी पैदावार की उचित कीमत मिल सके, इसके लिए देश की कृषि मंडियों को ऑनलाइन जोड़ने का कार्य जारी है, eNAM पर अब तक 36,000 करोड़ रुपए से अधिक की कृषि वस्तुओं का व्यापार किया जा चुका है। सरकार ने गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए, विशेषकर स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए, बिना बैंक गारंटी कर्ज देने पर जोर दिया है। ‘जनधन योजना’ के तहत अब तक लगभग 31 करोड़ गरीबों के बैंक खाते खोले जा चुके हैं। इस योजना के शुरू होने से पहले, देश में महिलाओं के बचत खातों की संख्या लगभग 28 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर 40 प्रतिशत से भी अधिक हो गई है।

 इस बजट को मोदी सरकार की अग्नि परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। बजट सत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में रविवार को सर्वदलीय बैठक हुई। बैठक में जहां प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय हित में राजनीतिक दलों से विचारधारा से ऊपर उठकर सहयोग की अपील की, वहीं विपक्ष ने अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी। विपक्ष के रुख से साफ है कि वह केंद्र को बख्शने के मूड में नहीं है। विपक्ष का रुख देखकर सत्ता पक्ष भी सरकार की नीति के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ आक्रामक रणनीति अपनाने के पक्ष में है। बजट सत्र का पहला चरण 29 जनवरी 9 फरवरी और दूसoरा चरण पांच मार्च से 6 अप्रैल तक चलेगा। इस तरह से पहले सत्र में 10 दिन दूसरे सत्र में करीब 23 दिन सदन का कामकाज चलने की संभावना है। इस क्रम में केंद्र एक फरवरी को अपना आखिरी बजट पेश करने जा रही है। मोदी सरकार के इस बजट से देश के हर वर्ग को बड़ी आस है। नौकरी पेशा जहां आयकर में राहत की उम्मीद देख रहा है, वहीं आमजन जीएसटी, नोटबंदी के बाद बड़े राहत की उम्मीद कर रहे हैं। देश में बढ़ रही बेरोजगारी, महंगाई, पेट्रोलियम पदार्थों के दाम समेत आदि मुद्दे मुंह फैलाए खड़े हैं।

सरकार के दावे और हकीकत के बीच की दूरी सत्ता पक्ष के लिए परेशानी का सबब हो सकती है। खेती, खलिहानी और किसानों की स्थिति भी सरकार के लिए परेशानी का सबब है। मोदी सरकार ने वादा किया था कि वह किसानों को उसके उत्पादन का उचित मूल्य दिलाएगी, किसानों की लागत में 50 फीसदी की कमी आाएगी तथा इन सुधारों से किसानों की आय में दोगुना इजाफा होगा। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। इसी तरह से सरकार की तमाम फ्लैगशिप योजनाओं को लेकर भी विपक्ष हमलावर है। विपक्ष लगातार सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना कर रहा है। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी का कहना है कि मोदी सरकार ने देश की जनता से जो भी वादा किया था, उसमें वो हर मोर्चे पर फेल है।





 


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