फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने पीएम मोदी को बताया वैश्विक नेता

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने विदेश दौरे के क्रम में फिलीस्‍तीन पहुंच गये हैं| वहां से एक दिन बाद मोदी दो दिवसीय यात्रा पर संयुक्त अरब अमीरात जायेंगे | विशेषज्ञों का मानना है कि इस्राइल के साथ भारत के बेहतर संबंधों से असल में उनके देश को फायदा पहुंच सकता है और फिलीस्तीनी नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा को इस्राइल के साथ शांति प्रक्रिया फिर से शुरू करने के एक अवसर के तौर पर देखता है. इस क्षेत्र में बढ़े तनाव के बीच  पीएम मोदी रामल्ला पहुँचे हैं|  नरेंद्र मोदी  फिलीस्तीन की यात्रा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं| अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के यरुशलम को इस्राइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के बाद क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है. फिलीस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन एक्जीक्यूटिव कमिटी के सदस्य अहमद मजदलानी ने कहा कि इस्राइल और भारत के बीच बेहतर संबंधों से फिलीस्तीनियों को मदद मिल सकती है.

 द यरुशलम पोस्ट ने मजदलानी के हवाले से कहा, ‘उनके बीच बढ़ते संबंध सकारात्मक हो सकते हैं क्योंकि अब भारत का इस्राइल पर अधिक दबाव है और वह हमारे पक्ष में दबाव बना सकता है.' रामल्ला में कई अधिकारियों से चर्चा के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि फिलीस्तीन नेतृत्व भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा को शांति प्रक्रिया के गतिरोध को तोड़ने में मदद करने के एक अवसर के रूप में देख रहा है. हालांकि इस्राइल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल अमेरिका के नेतृत्व वाली शांति प्रक्रिया के तहत ही आगे बढ़ेगा. एक अधिकारी ने कहा, ‘आज वैश्विक समुदाय में भारत की व्यापक स्वीकार्यता है. उसके गणतंत्र दिवस समारोह में आसियान देशों के नेताओं की भागीदारी उसके बढ़े हुए दर्जे को स्पष्ट तौर पर दर्शाती है. ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) में उसकी सदस्यता तथा कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी दृश्यता साफ तौर पर यह दिखाती है कि आज वह एक वैश्विक खिलाड़ी है.'

 इस्राइल के साथ भारत के कूटनीतिक संबंधों, मोदी की इस्राइल यात्रा को लेकर इस्राइली प्रधानमंत्री की भारत यात्रा से ऐसा नहीं लगता कि फिलीस्तीन बेचैन है. विश्वविद्यालय के एक छात्र एमान ने कहा, ‘यहां तक कि जॉर्डन और मिस्र के भी इस्राइल के साथ पूर्ण कूटनीतिक संबंध हैं तो भारत के क्यों नहीं हो सकते.' इस्राइल से भारत के बढ़ते संबंध के बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने खुद कहा कि ‘किसी भी देश के पास अन्य देशों से संबंध कायम करने का अधिकार है.' मोदी पश्चिम एशिया की अपनी यात्रा के दौरान इस्राइल नहीं जायेंगे. भारत सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार फिलीस्तीन के पक्ष में वोट करता रहा है और नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उसके हालिया वोट पर स्पष्ट तौर पर ‘नाखुशी' जतायी थी जहां 128 देशों ने यरुशलम को इस्राइल की राजधानी घोषित करने के अमेरिका के कदम को खारिज कर दिया था.

उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी विश्वभर में मान्य नेता है, वे वैश्विक नेता है. उम्मीद है उनके हस्तक्षेप से इस्राइल के साथ बातचीत के माहौल तैयार होंगे और दोनों देशों के बीच का तनाव कम होगा. मोदी आज फलस्तीन की तीन घंटे की व्यस्त यात्रा फलस्तीन के प्रतिष्ठित दिवंगत नेता यासीर अराफात की कब्र पर पुष्पचक्र अर्पित कर शुरू करेंगे. उनके साथ फिलीस्तीन के उनके समकक्ष रामी हमदल्ला भी होंगे. इस्राइली मीडिया में इस यात्रा को प्रमुखता से जगह दी गयी है. कई खबरों में इस पर नाखुशी जतायी गयी है.

कई इस्राइली अराफात को इस क्षेत्र में कई निर्दोष नागरिकों की हत्या और हिंसा भड़काने के लिए दोषी मानते हैं. अराफात को श्रद्धांजलि देने के बाद वह कब्र के पास बने उनके संग्रहालय भी जायेंगे. वह 15 माह पहले बने यासीर अराफात के संग्रहालय में करीब 20 मिनट बितायेंगे. इस संग्रहालय में पूर्व फिलीस्तीन नेता की जीवन गाथा बतायी गयी है. अराफात संग्रहालय के निदेशक मुहम्मद हलायका के अनुसार, इस संग्रहालय का दौरा करने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री होंगे. इसके बाद राष्ट्रपति अब्बास मोदी की अगवानी करेंगे और दोनों नेता चर्चा करेंगे, द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे, संयुक्त संवाददाता सम्मेलन करेंगे और दोपहर का भोजन करेंगे. इसके बाद मोदी अम्मान रवाना हो जायेंगे.


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