देश के आम आदमी को यहां मिलती हैं सस्ती दवाएं, सरकार देती है लाखों रुपये की वित्तीय मदद

रिपोर्ट: साभार

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। 132 करोड़ आबादी वाले हिंदुस्तान में हेल्थकेयर एक बहुत बड़ा सेक्टर है, लेकिन आप को जानकारी हैरानी होगी कि देश की 60 फीसद आबादी अब भी आधुनिक स्वास्थ सेवाओं से दूर है। इसकी अहम वजह यह है कि प्रमुख स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की ओर से दवाओं को किफायती कीमतों पर उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

इसलिए लोगों तक सस्ती दवाएं पहुंचाने के लिए एनडीए सरकार ने प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधी परियोजना स्कीम लॉन्च की है। इसके तहत लोगों को किफायती कीमत पर गुणवत्ता वाली दवाएं विशेष केंद्र के माध्यम से मुहैया कराई जाती है।

जानिए इस स्कीम से जुड़ी हर छोटी बड़ी बात:

जन औषधि स्कीम यूपीए नीत कांग्रेस सरकार की ओर से वर्ष 2008 में की गई थी। हालांकि, कई कारकों के चलते यह सफल नहीं हो पाई।

एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से इस अभियान को प्रधानमंत्री जन औषधी योजना के नाम से सितंबर 2015 में फिर से लॉन्च किया गया और नवंबर 2016 में इसका नाम बदलकर प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधी परियोजना रख दिया गया। जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधी क्रेंद्र पर सभी दवाएं किफायती कीमत पर मिलती हैं।

सरकार ने दवाओं की कीमत में भारी कटौती की है। अधिकृत केंद्रों पर से लोग जेनरिक (अनब्रैंडेड) दवाएं खरीद सकते हैं जो ब्रैंडेड की तुलना में काफी सस्ती होती है। साथ ही ये गुणवत्ता और प्रभाव के मामले में ब्रैंडेड दवाओं के समतुल्य होती हैं। लोगों की पहुंच करीब 700 दवाओं और 130 सर्जिकल प्रोडक्ट्स तक है।

जानिए जन औषधि केंद्र के बारे में-

देश में जून 2018 तक करीब 3600 जन औषधि केंद्र संचालन में हैं। यह सुबह आठ बजे से रात आठ तक खुलते हैं। यहां से लोग ओवर द काउंटर (ओटीसी) प्रोडक्ट्स की भी खरीद कर सकते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि ओटीसी दवाएं वे होती है जिन्हें खरीदने के लिए केमिस्ट को प्रिस्क्रिप्शन लेटर देने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, शेड़्यूल ड्रग्स खरीदने के लिए डॉक्टर की ओर से मिला प्रिस्क्रिप्शन लेटर देना जरूरी होता है।

जानिए कैसे आपूर्ति से पहले जेनरिक दवाओं की गुणवत्ता जांची जाती है-

डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स के तहत स्थापित ब्यूरो ऑफ फार्मा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) जन औषधि स्टोर्स पर सीपीएसयू की मदद से प्रोक्योरमेंट, आपूर्ति और जेनरिक दवाओं की मार्केटिंग के प्रोसेस पर नजर रखता है।

बीपीपीआई सीपीएसयू (सेंट्रल पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग) या निजी आपूर्तिकर्ता की ओर से प्राप्त ड्रग्स के हर बैच की जांच करता है ताकि स्टोर्स पर दवाओं के पहुंचने से पहले इनकी सुरक्षा, गुणवत्ता और प्रभाव सुनिश्चित किया जा सके।

कैसे कर सकते हैं जन औषधि केंद्र के लिए आवेदन-

हालांकि जन औषधि केंद्र आम लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है लेकिन इसके लिए कोई भी आवेदन कर सकता है। कोई भी राज्य सरकार, प्रतिष्ठित एनजीओ, निजी अस्पताल, चैरिटी, बेरोजगार फार्मेसिस्ट या व्यक्तिगत उद्यमी इस स्कीम की आधिकारिक वेबसाइट से ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से आवेदन कर सकता है। इसके लिए आवेदक के पास बीफार्मा/डीफार्मा डिग्री होनी चाहिए।

क्या मिलता है जन औषधी केंद्र के संचालकों को-

सरकार संचालकों को सरकारी अस्पताल के परिसर में स्टोर खोलने के लिए मुफ्त में जगह देती है। साथ ही 2.5 लाख रुपये तक की एक बार प्राप्त होने वाली वित्तीय सहायता और अन्य बेनिफिट्स उपलब्ध कराती है।


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