बिहार में सियासी जंग और तेज, नीतीश समर्थक 20 मंत्रियों ने दिया इस्तीफा

रिपोर्ट: साभारः

पटना : बिहार में जीतन राम मांझी और जदयू के बीच अब राजनीतिक लडाई और तेज हो गयी है. इस बीच बडी खबर है कि बिहार के 20 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है. इसके पहले मांझी ने आज 15 मंत्रियों को बर्खास्त करने की सिफारिश राज्यपाल से की थी. लेकिन राज्यपाल की ओर से इस सिफारिश पर कुछ प्रतिक्रिया आती उसके पहले 20 मंत्रियों ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया. आज मांझी की जगह नीतीश कुमार को जदयू विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद से मांझी ने भी कड़ा तेवर अपना लिया है. 15 मंत्रियों को बर्खास्त करने के पहले मांझी ने दो मंत्रियों को बर्खास्त करने की सिफारिश की थी और राज्यपाल ने इस सिफारिश को मंजूर करते हुए दोनों मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था. नीतीश कुमार को आज जदयू विधायक दल का नया नेता चुन लिया गया और इसके साथ ही उनके राज्य की बागडोर एक बार फिर संभालने का मार्ग प्रशस्त हो गया. बिहार के संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने जदयू अध्यक्ष शरद यादव द्वारा आहूत विधायक दल की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि बैठक के दौरान मसौढी विधायक अरुण मांझी जो कि जीतन राम मांझी के समर्थक माने जाते हैं, ने नीतीश कुमार को पार्टी विधायक दल का नेता चुने जाने का प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया. इधर जीतन राम मांझी का बागी तेवर अब भी बरकरार है. जानकारी के मुताबिक मांझी ने 15 और मंत्रियों को बर्खास्त करने की राज्यपाल से सिफारिश की है. बागी तेवर अपनाने वाले मांझी को हटाने के लिये आयोजित इस बैठक में 111 में से 97 विधायकों और 41 में से 37 विधान पार्षदों ने भाग लिया. उधर मांझी ने शरद की इस बैठक को ‘अनधिकृत’ बताते हुए आगामी 20 फरवरी को अपने आवास पर विधायक दल की बैठक बुलायी है. नीतीश के विधायक दल का नेता चुने जाने से अब यह स्पष्ट हो गया है कि वे मांझी के स्थान पर बिहार के नये मुख्यमंत्री होंगे. अपने को विधायक दल का नया नेता चुने जाने पर नीतीश मुस्कुराते दिखे. श्रवण ने बताया कि आगे की रणनीति तय करने के लिए विधायक दल ने नीतीश को अधिकृत किया है. इससे पूर्व एक ही कार में सवार होकर शरद यादव के साथ नीतीश जदयू विधायक दल की बैठक में शामिल होने पहुंचे थे. इस अवसर पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के सी त्यागी भी उपस्थित थे. गत वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में जदयू की करारी हार की नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर मांझी को अपना उत्तराधिकारी मनोनीत किया था. नीतीश की पसंद गलत साबित हुई और वे बागी हो गए. जानकारी के अनुसार जदयू की बैठक में 111 सदस्यों को आमंत्रित किया गया था जिसमें से बैठक में कुल 97 विधायक उपस्थित थे. बिहार में नयी सरकार के गठन के लिए मैजिकल फीगर 117 है. सूत्रों की मानें, तो नीतीश कुमार को 127 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. जिनमें जदयू की बैठक में उपस्थित 97 विधायक, राजद के 24, कांग्रेस के पांच और सीपीआई के एक विधायक का समर्थन शामिल है. इस बीच ऐसी खबर है कि जनता दल यूनाइटेड की तरफ से नयी सरकार गठन को लेकर औपचारिक तौर राज्यपाल के समक्ष दावा प्रस्तुत किया जा सकता है. इन सबके बीच ऐसी खबरें मिल रहीं हैं कि जीतन राम मांझी द्वारा विधानसभा भंग करने की अनुशंसा पर जनता दल यूनाइटेड की तरफ से राज्यपाल और राष्ट्रपति को पत्र भेजकर अनुशंसा पर संज्ञान नहीं लेने का आग्रह किया गया है. 19 मंत्रियों ने राज्यपाल और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे मुख्यमंत्री के विधानसभा भंग करने की सिफारिश पर संज्ञान न लें. आज के फैसले पर नीतीश बोले, पार्टी में तेजी से बढ रही थी समस्याएं बिहार में चल रहे राजनीतिक घमासान के बीच आज नीतीश कुमार ने कहा कि पार्टी में तेजी से समस्याएं बढ रही थी इस कारण पार्टी ने यह फैसला किया. आज की बैठक और उसे विधायक दल का नेता चुने जाने पर नीतीश कुमार ने कहा कि पार्टी के सामने कई चुनौतियां थी, आने वाले विधानसभा चुनाव की चुनौतियां भी थी इस वजह से यह फैसला लेना पडा. अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की बात पर नीतीश ने कहा कि उस वक्त लोकसभा चुनाव परिणाम के कारण मैंने इस्तीफा दिया था. लेकिन मांझी के नेतृत्व में पार्टी के अंदर बहुत सारी परेशानिया उत्पन्न होने लगी थी, आगामी चुनाव को देखते हुए पार्टी की चुनौतियां भी बढने लगी थी जिसके कारण आज पार्टी ने बैठक बुलाकर यह निर्णय लिया. नीतीश ने कहा कि लोग लगातार आगामी चुनाव को लेकर बिहार के विकास को लेकर अपनी चिंताएं प्रकट कर रहे थे. उन्होंने भाजपा पर राज्यसभा चुनाव के दौरान राजनीति का गंदा खेल खेलने का आरोप भी लगाया. मुख्यमंत्री ने की विधानसभा भंग करने की सिफारिश मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के आवास पर आज बुलायी गयी कैबिनेट की बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश का प्रस्ताव पेश किया, लेकिन इस सिफारिश का कैबिनेट के 21 सदस्यों ने विरोध किया जबकि सात सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया . मुख्यमंत्री मांझी आखिर तक विधानसभा भंग करने के निर्णय पर अडिग रहे और मंत्रियों के भारी विरोध के बावजूद उन्होंने राज्यपाल से विधानसभा को भंग करने की सिफारिश करने का निर्णय लिया. इस बीच पटना से प्राप्त खबरों के अनुसार जीतन राम मांझी के फैसले के खिलाफ बाकी के मंत्री राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं. महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने राज्यपाल को आज होने वाली विधायक दल की बैठक के बारे में पहले से ही सूचित कर रखा है. ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री के विधानसभा भंग करने के प्रस्ताव पर आखिरी निर्णय राज्यपाल को ही करना है. विदित हो कि अल्पमत में आयी सरकार के मुखिया के प्रस्ताव को मानने के लिए राज्यपाल बाध्य नहीं हैं. सुबह से ही गहमागहमी रही बिहार की राजनीति में आज बिहार में जारी महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम के बीच दोनों मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया. मंत्री ललन सिंह और पीके शाही को बर्खास्त करने की अनुशंसा को राज्यपाल ने अपनी मंजूरी दे दी. कल मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इन मंत्रियों को बर्खास्त करने की अनुशंसा राज्यपाल से की थी. आज आगे की कार्यवाही पर विचार करने के लिए जदयू विधानमंडल दल की बैठक शाम चार बजे बुलायी गयी है. बिहार में राजनीति का पारा परवान चढ़ा विगत कुछ दिनों से बिहार में जारी राजनीतिक गहमा-गहमी के बीच आज जीतन राम मांझी नीतीश कुमार से मिलने उनके आवास पर पहुंचे. इसके साथ ही राजनीतिक ड्रामे का पटाक्षेप होता नजर आया. विदित हो कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव द्वारा आज विधायक दल की बैठक बुलायी गयी थी, उसके बाद से जदयू दो खेमों में बंटा नजर आ रहा था. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी बागी रुख अख्तियार कर लिया था और पार्टी विरोधी कई बयान दिये थे. कल तो जदयू कार्यालय पर कब्जे को लेकर नीतीश कुमार और मांझी के समर्थकों के बीच झड़प भी हो गयी थी.


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