पटना. चार साल बाद जेडीयू एनडीए में शामिल होने जा रहा है। नीतीश कुमार की अगुआई में शनिवार को हुई पार्टी की नेशनल एग्जीक्यूटिव की मीटिंग में यह रेजोल्यूशन पास कर दिया गया। पंजाब, झारखंड समेत अन्य राज्यों के जेडीयू प्रदेश अध्यक्षों की मौजूदगी में यह फैसला किया गया। जेडीयू के नेशनल प्रिंसिपल जनरल सेक्रेटरी केसी त्यागी ने इस संबंध में प्रस्ताव रखा और सर्व सम्मति से उसे पास किया गया। बता दें कि नीतीश कुमार की जेडीयू जून 2013 में एनडीए से अलग हुई थी। इस मीटिंग में शरद यादव के पार्टी में रहने या न रहने पर भी फैसला हो सकता है। वहीं, नीतीश उन हालात पर भी चर्चा करेंगे, जिसकी वजह से जेडीयू को महागठबंधन से अलग होना पड़ा। सीएम हाउस में मीटिंग के दौरान नीतीश के घर के बाहर शरद यादव के नारे लगे। उधर, जेडीयू के बागी नेता शरद यादव अलग से मीटिंग कर रहे हैं। केसी त्यागी ने शरद पर लगाया भ्रम फैलाने का आरोप... - बैठक से पहले केसी त्यागी ने कहा कि जेडीयू में कोई फूट नहीं है। कुछ लोग अपनी दुकान चलाने के लिए जानबूझ कर भ्रम का माहौल बना रहे हैं। ऐसे लोगों की जनता की नजरों में कोई अहमियत नहीं है। जेडीयू के सभी विधायक और जिला अध्यक्ष हमारे साथ हैं। पार्टी के 19 में से 16 राष्ट्रीय पदाधिकारी नीतीश कुमार के साथ खड़े हैं। - त्यागी ने कहा कि शरद यादव को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बुलाया गया है। उनको आकर अपनी बात रखनी चाहिए। शरद की जेडीयू असली: लालू - आरजेडी चीफ लालू यादव ने कहा कि असली जेडीयू शरद यादव की है। नीतीश कुमार बीजेपी के हो गए हैं। उन्हें अब कमल छाप से चुनाव लड़ना होगा। शरद ने जेडीयू की स्थापना की थी। नीतीश ने तो समता पार्टी बनाई थी। नीतीश जेडीयू में शामिल हुए थे। - उन्होंने कहा, "27 अगस्त की रैली में मैंने शरद यादव को भी आने का न्योता दिया है। शरद ने तीन दिनों की बिहार यात्रा की थी। इस दौरान उन्हें मिले जन समर्थन से नीतीश कुमार डर गए हैं।" नीतीश-सुशील मोदी के आगे नाक रगड़ रहे हैं: लालू - न्यूज एजेंसी के मुताबिक, लालू ने कहा, "सुशील मोदी भारी लुटेरा है। अनाप-शनाप बातें करता है। हाफ पैंट पहनता था तब से जानता हूं।" - उन्होंने सिरिजन घाेटाले पर कहा, "नीतीश कुमार और सुशील मोदी खुद काे बचाने के लिए मोदी के सामने नाक रगड़ रहे हैं। वे जानते हैं कि उन्होंने घोटाला किया है।" - लालू ने आगे कहा, "यह जेडीयू की नेशनल एक्जीक्युटिव की नहीं, बीजेपी की बैठक है। वे एनडीए ज्वाइन करने जा रहे हैं।" शरद को पार्टी से निकालने का फैसला तकलीफदेह - केसी त्यागी ने कहा कि शरद यादव के लिए पार्टी का रास्ता अभी भी खुला है। वे आएं और अपनी राय रखें। महागठबंधन से अलग होने का फैसला जेडीयू ने एकमत से लिया था। - शरद यादव पर कार्रवाई के संबंध में पूछने पर उन्होंने कहा कि वे बड़े कद के नेता हैं, पुरखे हैं। उनको पार्टी से निकाले जाने का फैसला हमारे लिए कष्टदायक है। शरद बोले- किसी का नाम लेकर कुछ कहने की जरूरत नहीं - उधर, शरद यादव ने श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल अलग बैठक शुरू करते हुए कहा कि किसी को किसी नेता या दल के खिलाफ नाम लेकर कुछ कहने की जरूरत नहीं है। हम यहां बिहार की जनता के सुख-दुख के साथ खड़े होने आए हैं। - जेडीयू के पार्टी महासचिव पद से हटाए गए अरुण श्रीवास्तव और राज्यसभा सांसद अली अनवर ने शुक्रवार को कहा था, "नीतीश सत्ता का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। शरद का गुट पार्टी के चुनाव चिह्न तीर पर भी अपना दावा करेगा। यादव गुट जल्द ही इलेक्शन कमीशन जाएगा।" - अरुण के मुताबिक, "हम सब राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सामने अपनी बात कहना चाहते थे, लेकिन नीतीश ने हम तीनों को बिना कोई नोटिस दिए हटा दिया, इसलिए हमने बैठक का बायकॉट कर पटना में उसी वक्त अपनी बैठक करने का फैसला लिया।" - उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को पार्टी के 10 सांसदों और 71 विधायकों के अलावा सिर्फ 5 राज्यों का समर्थन हासिल है। ऐसे आमने-सामने आए शरद-नीतीश - बिहार में बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद नीतीश और शरद यादव आमने-सामने आ गए थे। पिछले दिनों अमित शाह से मुलाकात के बाद नीतीश ने कहा था- ''वो (शरद यादव) अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। पूरी पार्टी से विचार के बाद ही हमने यह फैसला लिया था। सबकी सहमति के बाद ही बीजेपी के साथ आए और बिहार में सरकार बनाई। मैं कुछ भी करने से पहले पार्टी के लोगों से जरूर पूछता हूं।'' - शरद ने पिछले दिनों नीतीश के फैसले के खिलाफ राज्य में तीन दिन की यात्रा की थी। उन्होंने गुरुवार को दिल्ली में साझा विरासत बचाओ सम्मेलन किया था। इसमें राहुल गांधी समेत कांग्रेस, आरजेडी और अन्य दल के कई नेता आए थे। क्यों नाराज हैं शरद? - लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ सीबीआई के केस दर्ज किए जाने के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें जनता के बीच जाकर फैक्ट्स के साथ सफाई देने को कहा था। इसके साथ ही जेडीयू के लोग नीतीश के जीरो टॉलरेंस का हवाला देकर तेजस्वी से इस्तीफा देने की मांग कर रहे थे। - तेजस्वी ने न तो सफाई दी और न ही इस्तीफा दिया। इसके बाद नीतीश कुमार ने 26 जुलाई को इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के दूसरे दिन ही बीजेपी के साथ मिलकर जेडीयू ने सरकार बना ली। - शरद यादव नीतीश के महागठबंधन छोड़कर भाजपा के साथ जाने से नाराज हो गए। शरद ने इसे जनता के साथ किया गया धोखा कहा।