मुंबई में मानसून से और बढ़ सकता है कोरोना का कहर,

रिपोर्ट: जूही तिवारी

 शंख्नाद: आईआईटी मुंबई की एक रिपोर्ट में मानसून के साथ ही कोरोना का संक्रमण और तेजी से बढ़ने की आशंका जताई गई है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ह्यूमिडिटी यानी नमी बढ़ने पर वातावरण में कोरोना वायरस अधिक समय तक जिंदा रह सकता है। इस स्टडी को आईआईटी मुंबई के दो प्रोफेसरों रजनीश भारद्वाज और अमित अग्रवाल ने तैयार किया है। इनका मानना है कि अधिक तापमान और कम नमी की वजह से खांसी या छींक के ड्रॉपलेट्स सूखने में कम समय लगता है, लेकिन मानसून के दौरान नमी रहेगी और लोगों की खांसी सूखने में ज्यादा वक्त लगेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि मुंबई, कोलकाता, गोवा जैसे शहर डेंजर जोन में हैं।

आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर रजनीश भारद्वाज और अमित अग्रवाल ने कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर एक स्टडी की है। इस स्टडी को मार्च माह में शुरू किया गया था। इसके लिए उन्होंने कंप्यूटर मॉडल का इस्तेमाल किया। इसके लिए उन्होंने तापमान, ह्यमिडिटी और सरफेस को आधार बनाया। दोनों प्रोफेसर ने कोरोना वायरस मरीज की छींक से निकलने वाले ड्रॉपलेट को सुखाया। इसके बाद इसकी सूखने की गति और दुनिया के 6 शहरों में हर दिन होने वाले संक्रमण से इसकी तुलना की।

रजनीश भारद्वाज ने बताया कि इस स्टडी में हमने देखा कि खांसने या छींकने पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण पहुंच सकता है। हमने कंप्यूटर मॉडल से दुनिया भर के अलग-अलग शहरों के तापमान का भी अध्ययन किया। उन्होंने बताया कि स्टडी में पाया गया कि सूखे वातावरण के मुकाबले ह्यूमिडिटी वाले इलाके में वायरस के रहने की क्षमता 5 गुना तक ज्यादा थी। ऐसे में मुंबई में जल्द ही मानसून आने वाला है और वहां ह्यूमिडिटी का स्तर 80 प्रतिशत से ज्यादा हो जाता है। ऐसे में कोरोना के संक्रमण के मामले मानसून के दौरान और तेजी से बढ़ सकते हैं।


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