भारत-चीन खूनी संघर्ष : 20 दिन पहले पैदा हुई बेटी का चेहरा देखे बिना देश के लिए शहीद हुए बिहार के कुंदन

रिपोर्ट: इन्द्र मोहन पाण्डेय

शंख्नाद: बिहार के भोजपुर का एक वीर सपूत देश की रक्षा करते चीन के हमले में शहीद हो गया। शहीद जवान मूल रूप से जिले के बिहिया थाना क्षेत्र के पहरपुर गांव के रहने वाले रविशंकर ओझा के 28 वर्षीय पुत्र कुंदन ओझा थे। उनका परिवार करीब तीस साल से झारखंड राज्य के साहेबगज में रह रहा है। वहीं मंगलवार की शाम बेटे की शहादत की खबर मिलते ही गांव का माहौल गमगीन हो उठा। वहीं कुंदन के पैतृक घर में भी कोहराम मच गया। कुंदन अपने पहले बच्चे को देखने से पहले ही शहीद हो गए।

इससे गांव व घर के लोग काफी मर्माहत हैं। बताया जाता है कि किसान रविशंकर ओझा के पुत्र कुंदन ओझा की करीब दस साल पहले नौकरी लगी थी। महज दो साल पहले उनकी शादी हुई थी और बीस रोज पहले बच्ची हुई थी। घर में पहली बेटी होने को लेकर काफी खुशी थी। जानकारी के अनुसार कुंदन ओझा तीन भाइयों में मांझिल थे। इनमें कमाने वाले सिर्फ कुंदन ही थे। उनके चाचा धर्मनाथ ओझा आरा में वकील हैं। ग्रामीण प्रवीण रंजन ओझा उर्फ पिंटू ओझा बताते हैं इनके परिवार के लोग तीस वर्ष पहले से ही झारखंड राज्य के साहेबगंज जिले के बिहारी ग्राम में रहते है। कुंदन व उनके परिवार के लोग शादी-विवाह सहित अन्य फंक्शन में गांव आते रहते हैं।

झारखंड के साहिबगंज जिले के डिहारी गांव के लाल शहीद कुंदन ओझा की ससुराल भागलपुर के सुल्तानगंज के मिरहट्टी में मातम पसरा है। इस मातमी सन्नाटे में दामाद की शहादत पर गर्व का भाव भी है। लोग इस शहादत को सलाम कर रहे हैं।

घर पर मौजूद दादा ससुर सुरेंद्र कुमार दुबे, दादी सास शांति देवी के अलावा कुंदन की सास पुतुल देवी और साला हेमंत कुमार, यशवंत, साली निधि और निशा बेसुध पड़े हैं। ससुर संजय दुबे दिल्ली में हैं और पत्नी नेहा साहिबगंज में। दो साल पूर्व संजय दुबे की बेटी नेहा की कुंदन के साथ शादी हुई थी। एक माह पूर्व ही बेटी के पिता भी बने थे, जिसे देख भी नहीं पाए। उनकी ससुराल में कोई कुछ बोलने की स्थिति में नहीं। बड़े साले हेमंत सदमे में दरवाजे पर खड़े हैं।


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