बिहार के शिक्षा जगत में नॉन अटेंडिंग/फ़्लाइंग स्टूडेन्ट्स की समस्या बनी कोढ़

रिपोर्ट: किरण पाण्डेय

पटना : पाटलिपुत्र सहोदय स्कूल कॉम्प्लेक्स के तत्वावधान में आयोजित पत्रकार वार्ता में नॉन अटेंडिंग / फ़्लाइंग स्टूडेन्ट्स की समस्या के दुष्परिणामों के प्रति अभिभावकों को अवेयर किया गया| गौरतलब है कि कक्षा 11वीं में बिना प्रवेश, बिना वर्ग उपस्थिति के सीधे 12वीं की बोर्ड परीक्षा  देने का व्यवसाय बिहार में फ़्लाइंग या नॉन अटेंडिंग के नाम से अब प्रचलित हो चूका है।

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पाटलिपुत्र सहोदय स्कूल कॉम्प्लेक्स के सचिव डॉ सी बी सिंह ने कहा कि नॉन अटेंडिंग / फ़्लाइंग स्टूडेन्ट्स की समस्या एक कुप्रथा के रूप में फैलती जा रही है, जबकि ऐसी किसी व्यवस्था को सरकार या सी०बी०एस०ई० की तरफ़ से कोई मान्यता प्राप्त नहीं है|  उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष लगभग 50 हज़ार से भी अधिक  बच्चे ऐसी जालसाज़ी के शिकार हो जाते हैं। इनमें से अधिकांशतः 12वीं की बोर्ड परीक्षा भी उत्तीर्ण नहीं कर पाते, जिन्हें धंधेबाज़ IIT और PMT का ख़्वाब दिखाकर मोटी रक़म उगाह लेते हैं, जो लाखों में होती है।

डॉ सी बी सिंह ने कहा कि विद्यालय नहीं आने से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का सम्यक विकास नहीं हो पाता है| स्कूली माहौल से वंचित होने के कारण अधिकांश बच्चें गलत दिशा में कदम बढ़ा देते हैं या नशे की बुरी लत में फंसकर अपना जीवन तबाह कर लेते हैं जिसका दंश पूरे परिवार को भी झेलना पड़ता है|

प्रेस वार्ता में बताया गया कि यह कुप्रथा लगभग 25 वर्ष पहले प्रारम्भ हुई थी जब बारहवीं में मात्र कुछ हज़ार विद्यार्थी हुआ करते थे, किन्तु अब बिहार और झारखण्ड में लगभग एक लाख विद्यार्थी सी बी एस ई के द्वारा 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठते हैं, जिसमें आधे से अधिक नॉन अटेंडिंग / फ्लाइंग कैंडिडेट होते हैं।

बिहार-झारखंड में नॉन अटेंडिंग / फ़्लाइंग स्टूडेन्ट्स के इस वर्ष का आंकड़ा

बिहार में कुल परीक्षार्थी: 59012

झारखण्ड में कुल परीक्षार्थी: 35566

 

बिहार में बालकों का उत्तीर्ण प्रतिशत: 56.66%

झारखण्ड में बालकों का उत्तीर्ण प्रतिशत: 80.10

बिहार में बालिकाओं का उत्तीर्ण प्रतिशत: 71.09%

झारखण्ड में बालिकाओं का उत्तीर्ण प्रतिशत: 89.14%

विगत वर्षों में देखा गया है कि फ़्लाइंग कैंडिडेट के रूप में परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों में लगभग आधे से अधिक हर साल असफलता का मुंह देखते हैं। यह समस्या बिहार में सर्वोपरि है तथा बालकों में, बालिकाओं की अपेक्षा अधिक लोकप्रिय है, परिणामतः हर वर्ष बिहार के बालकों के परीक्षा परिणाम भारत में सबसे नीचे होते हैं।

यह भी देखा गया है कि सैकडों बच्चे अपना एडमिट कार्ड भी प्राप्त कर पाने में असफल रहते हैं और उनके जीवन से दो वर्ष व्यर्थ ही निकल जाते हैं। यह कुप्रथा बिहार के शिक्षा जगत के लिए एक कोढ़ बन चुकी है और दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। प्रेसवार्ता के माध्यम से पाटलिपुत्र सहोदय के पदाधिकारी गण बिहार के  अभिभावकों से आग्रह करते हुए कहा कि वे नियमित कक्षाओं के द्वारा अपने बच्चों की ग्यारहवीं और बारहवीं  की पढ़ाई करावें ताकि अज्ञानतावश उनका जीवन नष्ट न हो सके|

यदि कक्षा 11वीं के रेगुलर प्रवेश में कोई कठिनाई आ रही हो तो वे पाटलिपुत्र सहोदय के पदाधिकारी गण से या सी०बी०एस०ई० से सम्पर्क करें। उनकी हर संभव सहायता की जाएगी एवम किसी न किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में जहां नियमित रूप से वर्ग चलते हैं। उल्लेखनीय है कि पाटलिपुत्र सहोदय स्कूल कॉम्प्लेक्स सी०बी०एस०ई० से सम्बद्ध विद्यालयों का संगठन है, जो सी०बी०एस०ई० के निर्देशानुसार संगठित एवं संचालित होता है।

इस पत्रकार वार्ता मे पाटलिपुत्र सहोदय के संरक्षकगण जयराम शर्मा, रामायण प्रसाद यादव, ग्लेन गैलस्टोन के साथ अध्यक्ष डॉ राजीव रंजन सिन्हा, सचिव एडवर्ड अल्फोंसे, मानद सचिव डॉ सी बी सिंह, उपाध्यक्ष डॉ बी प्रियम, संयुक्त सचिव मधुकर झा, कोषाध्यक्ष अनिल कुमार नाग सहित सहोदय के अन्य पदाधिकारी एवं सदस्य विद्यालयों के प्राचार्य उपस्थित थे।

 

 

 

 


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