एक सजायाफ्ता दूसरे सजायाफ्ता को पार्टी से कैसे निकाल सकता? : सुशील मोदी

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

पटना : अलकतरा घोटाला मामले में 21 वर्ष बाद न्यायालय का फैसला सामने आने के बाद उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील मोदी ने लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि एक सजायफ्ता दूसरे सजायफ्ता को कैसे पार्टी से निकाल सकता है? उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद का साथ देने उनके पुराने सहयोगी इलियास हुसैन भी रांची जेल पहुँच गए हैं। मो. शहाबुद्दीन तिहाड़ में हैं, तो राजवल्लभ यादव नाबालिग से बलात्कार के मामले में नवादा जेल में है। जेल जानेवालों की कतार लम्बी है। अभी लाइन में परिवार के ही कई लोग खड़े हैं। श्री तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती की 3 दर्जन से ज्यादा सम्पत्ति जब्त हो चुकी है और खुद तेजस्वी, राबड़ी भ्रष्टाचार के मामले में Chargesheeted हैं। इलियास हुसैन की सजा यह बतलाता है कि क्यों बिहार की सड़के लालू राज में गड्ढे में बदल गई थी। Congress भी इस भ्रष्टाचार में बराबर की हिस्सेदार है। क्या ऐसे लोग देश और राज्य में विकल्प बन सकते है ?

21 साल पुराने अलकतरा घोटाले में बिहार के तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री इलियास हुसैन, उनके निजी सचिव शहाबुद्दीन बेग और ट्रांसपोर्टर जनार्दन प्रसाद अग्रवाल को 4 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। सीबीआई अदालत के विशेष जज एके मिश्र ने गुरुवार को अपने फैसले में इलियास हुसैन और शहाबुद्दीन बेक पर 4-4 लाख और संजय अग्रवाल पर 6 लाख का जुर्माना भी ठोका। कोर्ट ने तीनों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया। मामले में उपरोक्त तीनों आरोपियों के साथ तीन अन्य शमी अहमद, सुशील कुमार और रामावतार को भी नामजद किया गया था। लेकिन, जांच में सीबीआई ने तीनों को सरकारी गवाह बना लिया था।

गौरतलब है कि है कि गुमला डिविजन के अंतर्गत सड़क निर्माण के लिए आईओसीएल, हल्दिया से पंद्रह सौ मैट्रिक टन अलकतरा की आपूर्ति होनी थी। लेकिन, 359 मैट्रिक टन अलकतरे की आपूर्ति नहीं की गई और बदले में जाली बाउचर बनाकर 17 लाख 93 हजार 825 रुपए की राशि का गबन कर लिया गया। इसको लेकर सीबीआई के तत्कालीन इंस्पेक्टर पी के पाणीग्रही ने मामला दर्ज कराया था।

200 करोड़ का अलकतरा घोटाला

1990 से 1995-96 तक नयी सड़कों का निर्माण, सड़कों का चैड़ीकरण तथा सड़क मरम्मत का परिमाप घटता चला गया परन्तु अलकतरा खरीद की मात्रा बढ़ती चली गई।

 

वर्ष

नयी सड़क

चैड़ीकरण

मरम्मत

अलकतरा खरीद

1990-91

84 KM

138 KM

2000 KM

44,650 MT

1995-96

6 KM

0

1300

94,000 MT

अलकतरा खरीद की मात्रा 14 प्रतिशत से बढ़कर 93.7 प्रतिशत हो गई। विधान सभा में श्री हुसैन के अनुसार 1991-92 से 94-95 के बीच 2 लाख 21 हजार MT   अलकतरा बिहार को प्राप्त हुआ जबकि Petroleum मंत्रालय के अनुसार 3 लाख 14 हजार MT अलकतरा बिहार को आपूर्ति किया गया।

इस प्रकार केवल 4 वर्ष में बिहार और पेट्रोलियम मंत्रालय के आँकड़े में 93 हजार MT का अंतर है जिसकी कीमत 49 करोड़ रुपए है। अलकतरा घोटाले में ढुलाई के लिए Transporter की बहाली घोटाले का सबसे बड़ा माध्यम था। पहले तेल कम्पनियों ट्रान्सपोर्टर बहाल करती थी। 1990 से राज्य सरकार ट्रान्टसपोर्टर बहाल करने लगी। श्री हुसैन ने बिना विज्ञापन एवं टेंडर के मनमाने तरीके से चार वर्ष में 8 च्ंदमस बनाए। कभी किसी को Black list कर दिया और फिर पैसा लेकर बहाल कर दिया।

पहले शर्त रहती थी कि अलकतरा की कुल आपूर्ति का मात्र 10 प्रतिशत पहुँचाने के बाद शेष    बची मात्रा का 10 प्रतिशत पहुँचाया जाएगा। इस शर्त को लालू राज में शिथिल कर दिया गया कि एक ही बार में पूरा अलकतरा उठाया जा सकता है। परिमाणतः इंजीनियर की मिली-भगत से एक ही बार में पूरा अलकतरा उठाया जाता था जो प्रमण्डलों में कभी पूरा नहीं पहुँचता था। 1990 में लालू प्रसाद के आने के बाद प्रमण्डल की आवश्यकता का विचार किए बिना सीधे मंत्री द्वारा जिस प्रमण्डल को आवश्यकता नहीं थी उन प्रमण्डलों के लिए भी अलकतरा खरीद के आपूर्ति आदेश दिये गए। ट्रान्सर्पोटरों ने मंत्री की मिलीभगत से तेल कम्पनियों से बिना आवश्यकता के अलकतरा उठा कर नाम मात्र की आपूर्ति की और बाकी अलकतरा बेच दिया।

लालू प्रसाद की सरकार ने तेल कम्पनियों को अलकतरा भुगतान का तरीका बदल दिया!

पहले कार्य प्रमण्डलों द्वरा अलकतरा का भुगतान चेक या ड्राफ्ट से किया जाता था। 1990 से DGS&D भारत सरकार द्वारा सीधे तेल कम्पनियों को Memo Adjustment द्वारा भुगतान किया जाने लगा। परिणामतः विभाग को भी इस बात की जानकारी नहीं रहती थी कि कितना भुगतान किया जा रहा है। भाजपा द्वारा 1996 में सदन में मामला उजागर करने पर सरकार ने 11 करोड़ रूपए के 20 हजार MT अलकतरा घोटले को स्वीकार किया परन्तु सी.बी.आई. जाँच से इंकार कर दिया। आनन-फानन में घोटाले को दबाने के लिए विधान मंडल की संयुक्त जाँच समिति का गठन कर दिया जिसका संयोजक पशुपालन घोटने के एक अभियुक्त को बना दिया गया। भाजपा ने समिति से इस्तीफा दे दिया। एक-एक कर अन्य दलों के सदस्यों ने भी इस्तीफा दे दिया। अन्ततः संयोजक को भी इस्तीफा देना पड़ा।

भाजपा की ओर से पटना उच्च न्यायालय में मेरे द्वारा पी.आई.एल. दाखिल किया गया वर्तमान केन्द्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद इस पी.आई.एल. के वकील थे। राज्य सरकार के विरोध के बावजूद पटना उच्च न्यायालय ने अलकतरा घोटाले की जाँच सी.बी.आई. से कराने की अनुशंसा की। सी.बी.आई. ने 10 अलग-अलग FIR दर्ज कर मुकदमा चलाया जिसमें 9 मामलो में Charge frame किया जा चुका है। श्री हुसैन के P.S. मो0 शहाबुद्दीन बेग के घर जब सी.बी.आई. ने छापा मारा था तो उनके Toilet में बोरे में रखे हुए नोट मिले थे। इलियास हुसैन पर आय से अधिक सम्पत्ति का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। जिस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद सजायाफ्ता हो उसमें हिम्मत नहीं है कि वे अलकतरा घोटाले के सजायाफ्ता इलियास हुसैन पर कोई कार्रवाई कर सके।

 

 


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