23 वीं पुण्यतिथि के मौके पर महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित शीलभद्र याजी को लोगों ने किया नमन

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

बख्तियारपुर में महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित शीलभद्र याजी की 23 वीं पुण्यतिथि आयोजित की गई जिसमे शामिल लोगों ने उनके आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

पंडित शीलभद्र याजी मेमोरियल हॉल में पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा मे स्वतंत्रता सेनानी, उनके उत्तराधिकारी, शीलभद्र याजी के परिजन और विधायक रणविजय सिंह उर्फ लल्लू मुखिया आदि ने उन्हें श्रद्धांजलि दी एवं उनके बताये मार्ग का अनुसरण करने का संकल्प लिया।

गौरतलब है कि शीलभद्र याजी का नाम बिहार और देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों में शुमार है और उन्होंने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया था। 

उल्लेखनीय है कि शील भद्र याजी (1906-1996) बिहार के एक कार्यकर्ता थे जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से भी जुड़े थे। स्वतंत्रता आंदोलन में याजी की भागीदारी 1928 में तब शुरू हुई जब वे छात्र जीवन में थे| उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में भाग लिया। वह चार साल बाद कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए| किसान आंदोलन में भी उनकी महती भूमिका रही है| बाद में वह सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी के संपर्क में आए।


वह आईएनए आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े थे। याजी ने जातिगत पूर्वाग्रहों और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई। वह समाज के परिवर्तन के लिए संघर्ष में किसानों, श्रमिकों और मध्यम वर्गों की सक्रिय भागीदारी में दृढ़ विश्वास था। वह 27 अप्रैल 1957 से 2 अप्रैल 1958, 3 अप्रैल 1958 से 2 अप्रैल 1964, और 3 अप्रैल 1966 से 2 अप्रैल 1972 तक राज्य सभा के सदस्य के रूप में जनता की आवाज को सदन के अंदर पूरी मजबूती से उठाई|
याजी ने “ए ग्लांस ऑफ द इंडियन लेबर मूवमेंट”, फॉरवर्ड ब्लॉक एंड इट्स स्टैंड, इज़ सोशलिज्म ए नाउन्डिटी टू इंडिया, एंड ट्रू फेस ऑफ़ मोनोपॉलिस्टिक अमेरिकन डेमोक्रेसी जैसी कई महत्वपूर्ण किताबें भी लिखीं।


Create Account



Log In Your Account