बिहार विधान सभा के चुनावी दंगल में एडीपी के 101 यदुवंशी उम्मीदवार, ताल ठोकने को हैं तैयार : ललन यादव

रिपोर्ट: सुशांत पाठक

पटना : बिहार विधान सभा-2020 के चुनावी दंगल में असली देशी पार्टी के 101 यदुवंशी उम्मीदवारताल ठोकने को हैं तैयार| एडीपी के कोर ग्रुप की बैठक में लिए गये निर्णयों को मीडियाकर्मियों से साझा करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन यादव यह घोषणा की है| उन्होंने कहा कि “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी”, इस मूलमंत्र के साथ पार्टी ने चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया है| लालू प्रसाद पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी राज में भी सबसे अधिक यादवों की उपेक्षा की गयी| राष्ट्रीय जनता दल द्वारा यादव समाज के लोगों को शुरू से ही गुमराह किया गया| अपने ही समाज के राजनेताओं द्वारा अनदेखी किये जाने के कारण वर्ष 1990 के बाद बिहार के यादवों की सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक एवं राजनैतिक स्थिति निरंतर दयनीय होती गयी|

श्री यादव ने कहा कि बिहार में सबसे अधिक यादवों की आबादी है जिसे वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर नेता सत्ता का स्वाद चखते रहे हैं| उन्होंने कहा कि जिस बिहार में यादव मतदाताओं की बदौलत लालू-राबड़ी ने 15 वर्षों तक राज किया, उस बिहार में आज भी अधिकांश यादव परिवार के आय का मुख्य स्रोत पशुपालन और दूध-दही की बिक्री तक सिमटा हुआ है जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है| तमाम राजनैतिक पार्टियों ने यादव समाज को सिर्फ और सिर्फ ठगने और गुमराह करने का काम किया है| बिहार में लालू प्रसाद ने सामाजिक न्याय और नीतीश कुमार ने न्याय के साथ विकास का नारा तो जरुर दिया लेकिन हर किसी ने यादवों के साथ छल करने का काम किया है| आबादी के अनुरूप यादव समाज को राजनैतिक हक़ और अधिकार दिलाने के प्रति किसी ने भी इमानदारीपूर्वक आवाज बुलंद नहीं की| लेकिन यादव समाज अब पूरी तरह से जग गया है और बिहार में परिवर्तन की लहर जोरो पर है|

ललन यादव ने कहा कि यदुवंशियों को राजनैतिक हक दिलाने एवं सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए एडीपी दृढ़संकल्पित है जो आबादी के अनुरूप यादव समाज के लोगों को सदन तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करेगी| तभी समतामूलक समाज, सामाजिक समरसता, सामाजिक न्याय, न्याय के साथ विकास जैसे तरह-तरह के गढ़े गये चुनावी नारों को हकीकत की धरातल नसीब होगी| यादव समाज की स्थिति सुधरेगी| उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद के ‘सामाजिक न्याय’ और नीतीश कुमार के ‘न्याय के साथ विकास’ वाली सरकार में सबसे अधिक अन्याय, अत्याचार और जूल्म यादवों के साथ किया गया है| एक बार फिर बिहार की सम्पूर्ण जनता स्वार्थ और सत्ता की राजनीति करनेवाले नेताओं के खिलाफ गोलबंद है| इस वर्ष होनेवाले बिहार विधानसभा के चुनाव में जनता की अनदेखी करनेवाले नेताओं को करारा जबाब मिलेगा|


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