दलितों का भारत बंद का असर पूरे देश में देखा गया, 7 से अधिक की हुई मौत

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

नई दिल्ली: एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दलितों का भारत बंद का असर देश के 10 राज्यों में देखा गया। इनमें से उन राज्यों में सबसे ज्यादा हिंसा और प्रदर्शन देखने को मिला, जहां इस साल चुनाव होने हैं। इनमें मध्यप्रदेश और राजस्थान शामिल हैं। दोनों राज्यों में इस साल के आखिर में चुनाव होने हैं। इनके अलावा पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश में हिंसक झड़प हुईं। सुबह से जारी विरोध प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई में अभी तक 7 लोग जान गंवा चुके हैं। उधर, पंजाब में बंद के चलते सीबीएसई की परीक्षाएं टाल दी गई हैं। कोर्ट ने फौरन सुनवाई से इनकार कर दिया। इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है। इसकी खास वजह है।

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 के दुरुपयोग को रोकने को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया था। महाराष्ट्र के एक मामले में कोर्ट ने गाइडलाइन जारी की थीं। ये गाइडलाइंस फौरन लागू हो गई थीं। सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत से होगी। एक्ट के तहत आरोपी सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, तो उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से होगी। अग्रिम जमानत पर मजिस्ट्रेट विचार करेंगे और अपने विवेक से जमानत मंजूर या नामंजूर करेंगे।

मोदी सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की, गृह मंत्रालय ने लगाई शांति की गुहार

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आज बताया कि केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को कमजोर  करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर दी है। साथ ही उन्होंने राजनीतिक पार्टियों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि विरोध प्रदर्शन की आड़ में किसी तरह की सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम न दिया जाए। राजनाथ ने उन आरोपों को भी निराधार बताया जिनमें राजग सरकार के पिछड़े समुदायों के उत्थान के खिलाफ होने की बात कही गई थी। सिंह ने पत्रकारों से कहा, यह सुनिश्चित करना  राजनीतिक पार्टियों की नैतिक जिम्मेदारी है कि कहीं भी कोई जातीय या सांप्रदायिक हिंसा न हो।

 एनसीआरबी 2016 की रिपोर्ट बताती है कि देशभर में जातिसूचक गाली-गलौच के 11,060 शिकायतें दर्ज हुईं। जांच में 935 झूठी पाई गईं।

 


Create Account



Log In Your Account