पाकिस्तान को यूं घुटनों के बल ला सकता है भारत

रिपोर्ट: ramesh pandey

मल्टीमीडिया डेस्क। \'यह बात तब की है जब पाकिस्तान से टूटकर बांग्लादेश अलग नहीं हुआ था। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। पड़ोसी मुल्क की हरकतों से भारत परेशान था। सैन्य कार्रवाई करना चाहता था, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी का दबाव था। इंदिरा ने सोवियत संघ से कहा, हम तो बांग्लादेश को अलग करने के लिए कार्रवाई करने जा रहे हैं। आप साथ दें तो ठीक है, नहीं देंगे तो भी ठीक है। इंदिरा आगे बढ़ीं और बांग्लादेश अलग हो गया।\' उरी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऐसे ही रुख की अपेक्षा की जा रही है। 17 जवानों के शहीद होने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि भारत के पास पाकिस्तान को घुटनों के बल लाने के क्या विकल्प हैं? क्या सीधी सैन्य कार्रवाई से ही बात बनेंगी या कुछ और भी किया जा सकता है? एक नजर इसी से जुड़े अहम पहलुओं पर - दुनियाभर में बदनाम कर दो ऐसे पड़ोसी को -भारत को पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर चोट करना होगी। आर्थिक प्रतिबंध लगेंगे तो सीधा आम जनता तक असर होगा। इसमें चीन और अमेरिका अहम भूमिका निभा सकते हैं। -सब जानते हैं चीन, पाकिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है। चीन को सिवाय अपनी आर्थिक ताकत बढ़ाने के, किसी दूसरी बात से मतलब नहीं। भारत को कुछ भी करके चीन-पाक कॉरिडोर को ध्वस्त करना होगा। इसके लिए चीन से बात की जा सकती है। -पाकिस्तानियों के लिए यह कॉरिडोर बहुत अहम है। इसके जरिए चीन 46 बिलियन डॉलर पाकिस्तान में निवेश करने जा रहा है। पाकिस्तान का मानना है कि इससे वे विकासशील राष्ट्रों की गिनती में आ पाएंगे। भारत को इस मंसूबे को ध्वस्त करने की रणनीति अपनाना होगी। -परमाणु सम्पन्न होने के कारण दोनों देशों के बीच सीधी लड़ाई नहीं हो सकती, लेकिन भारत सीमा के उस पार फलफूूल रहे आतंकी कैंपों को निशाना जरूर बना सकता है। ब्रह्मोस की ताकत दुश्मन को दिखाई जा सकती है और चेतावनी भी दी जा सकती है।


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