IPC के प्रावधान 124ए और 153 की व्याख्या करने की है जरूरत : सुप्रीम कोर्ट

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

सुप्रीम कोर्ट ने कथित राजद्रोह के मामले को लेकर दो तेलुगु समाचार चैनलों के खिलाफ स्थानीय पुलिस की कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है| दरअसल  टीवी 5 और एबीएन आंध्रज्योति समाचार चैनलों ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के बागी सांसद के रघुराम कृष्ण राजू के आपत्तिजनक भाषण का प्रसारण किया था| न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक विशेष पीठ ने इन चैनलों की याचिकाओं पर राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा|

गौरतलब है कि टीवी 5 और एबीएन आंध्रज्योति समाचार चैनलों के खिलाफ राजद्रोह सहित विभिन्न अपराधों के लिए आरोप लगाए गए हैं| इस पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी शामिल हैं| पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उस प्राथमिकी से संबंधित समाचार चैनलों के कर्मचारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी|

सर्वोच्च अदालत ने कहा, 'हमारा मानना ​​है कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों – 124ए (राजद्रोह) और 153 (विभिन्न वर्गों के बीच कटुता को बढ़ावा देना) की व्याख्या की जरूरत है| 'खासकर प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर|' यह आरोप लगाया गया है कि राजू के प्रेस बयानों को प्रकाशित करने को लेकर चैनलों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है| सर्वोच्च अदालत ने इसी मामले में राजू को पहले ही जमानत दे दी है|


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