नीतीश सरकार की उदासीनता से बिहार में शिक्षा की हालत अत्यंत चिंताजनक : मुकेश सहनी

रिपोर्ट: रमेश पाण्डेय

पटना : पटना के मिलर हाई स्कूल में शिक्षा सुधार वरना जीना बेकार संकल्प के साथ रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा द्वारा आमरण अनशन को विकासशील इंसान पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी ने अपना समर्थन दिया है। इस दौरान विकासशील इंसान पार्टी के दर्जनों नेता तथा सैकड़ों कार्यकर्ता सन ऑफ़ मल्लाह के साथ अनशन स्थल पर उपस्थित थे।

पत्रकारों से बातचीत में मुकेश सहनी ने कहा कि वर्तमान समय में सरकारों द्वारा शिक्षा पर लगातार प्रहार किया जा रहा है। शिक्षण संस्थानों पर हमले लगातार जारी हैं तथा शिक्षा बजट में कटौती जारी है। राज्य में शिक्षा की स्थिति अत्यंत नाजुक है तथा शिक्षण संस्थानों ने लापरवाही तथा भ्रष्टाचार चरम पर है। उन्होंने कहा कि सरकार की उदासीनता से आज प्रदेश के लाखों बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सकने में अक्षम हैं। सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन कार्य बाधित है तथा शिक्षक अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं, सरकार शिक्षा के प्रति पूरी तरह उदासीन होकर आँखे मुंदी हुई है।

श्री सहनी ने कहा कि पिछले कुछ सालों में बिहार में हजारों सरकारी विद्यालयों को बंद कर दिया गया है। मिड-डे-मिल योजना में अनियमितता बरती गई है तथा प्रदेश के संविदा पर नियुक्त 3 लाख 56 हजार शिक्षक समान काम-समान वेतन को लेकर सालों से आंदोलनरत हैं। परन्तु बिहार सरकार के कान पर जू तक नहीं रेंग रहा है तथा सरकार प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की दयनीय स्थिति के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ जाने से बिहार की तरक्की रुक गई है तथा बिहार की कई पीढ़ियों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ रहा है जिससे राज्य की युवा पीढ़ी का मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है। राज्य सरकार अतिशीघ्र संज्ञान लेकर बिहार में शिक्षा सुधार के लिए उचित नीति बनाए तथा शिक्षा सुधार कार्यक्रम तुरंत लागू करे।

पत्रकारों के सवाल के जवाब में सन ऑफ़ मल्लाह ने कहा कि बिहार के डबल इंजन की सरकार विकास के हर मोर्चे पर फेल हुई है। सरकार के नेता अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के चक्कर में सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से जनता को वंचित रखते हैं। करीब 6.2 करोड़ की आबादी वाले राज्य गुजरात में 8 लाख 64 हजार मरीजों ने आयुष्मान योजना का लाभ उठाया। वहीँ करीब 11 करोड़ की आबादी वाले राज्य बिहार में सिर्फ 90 हजार 620 मरीजों ने ही इस योजना का लाभ उठाया। जबकि बिहार में मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है ओर उस अनुपात में स्वस्थ्य सुविधा मुहैया करवाने में राज्य सरकार पूरी तरह असफल रही है। साथ ही बिहार सरकार ने आयुष्मान योजना का प्रचार-प्रसार ठीक ढंग से नहीं किया जिसके कारण बिहार के अत्यंत कम मरीज ही इस योजना का लाभ उठा पाए।

यहाँ तक कि बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में, जिसकी कुल जनसंख्या करीब 3.19 करोड़ है (बिहार का लगभग आधा), आयुष्मान योजना के तहत 259 करोड़ की राशि खर्च की गई। ये आंकड़े जनता के लिए बिहार सरकार के उदासीन तथा निर्मम रवैये को दर्शाता है। बिहार सरकार द्वारा प्रदेश की जनता को इलाज के लिए भी सरकार योजना का लाभ उठाने में मदद नहीं की जा रही।

हम बिहार सरकार तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछना चाहते हैं कि करीब 11 करोड़ की आबादी वाले राज्य में आयुष्मान योजना के तहत सिर्फ 89 करोड़ की राशि खर्च करने का क्या मतलब है? सरकार द्वारा इस योजना का प्रचार-प्रसार ठीक ढंग से क्यों नहीं किया गया? एक तरफ तो ये सरकार राज्य के नागरिकों को उचित स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाने में पूरी तरह विफल है वहीँ दूसरी तरह सरकार द्वारा स्वास्थ्य जैसे अत्यंत अहम मामले में भी जनता को सरकार योजना का लाभ उठाने में मदद नहीं की जा रही। बिहार सरकार को इसका जवाब देना होगा।

 


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