आरा.वो कहती है, मैं भी तो फेंकी हुई ही मिली थी। माई-बाप तो फेंके ही, जमाने ने भी वही सलूक किया। मगर इसके साथ अपने जैसा नहीं होने दूंगी। कुछ बेच लूंगी, मगर इसको डीएम बनाऊंगी। आरा रेलवे स्टेशन परिसर में दातून की गठरियों के साथ बैठी 65 साल की महिला मेनका अपने बेटे आलोक उर्फ डीएम की ओर इशारा कर बोल रही थी। आठ साल पहले मिला था आलोक... -महिला ने बताया कि आलोक उसे 8 साल पहले मिला था। कहती है कि शुरू में सोचा था कि किसी दिन इसके मां-बाप मिलेंगे तो दे दूंगी। - मगर अब नहीं। ये मेरी जान है। आलोक का दाखिला आवासीय प्राइवेट स्कूल में कराया है। - वह कक्षा 6 का छात्र है। उसके नाम बैंक अकाउंट खोलकर करीब 2.5 लाख रुपए भी जमा करा दिए हैं। ट्रेन में मिला था लावारिस - समाजसेवी लालमोहर राय को 19 जून 2008 को आरा रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म 3 पर खड़ी डीएमयू ट्रेन में लावारिस नवजात शिशु मिला। उन्होंने सूचना जीआरपी को दी। - जीआरपी ने दातून बेचने वाली महिला मेनका को बच्चा सुपुर्द कर दिया। वह बताती है कि बच्चे का प्राइवेट पार्ट नहीं था। उसने किसी डॉक्टर से बच्चे का इलाज कराया। - इधर, शहर के कई दंपती रुपए देकर बच्चा लेना चाहते थे। लेकिन, मैंने साफ इनकार कर दिया। जहरीली शराब से पति की मौत - मेनका ने जब इस दुनिया में कदम रखा तो वह बंगाल के किसी जिले में थी। किसी तरह भटकते हुए आरा शहर पहुंच गई। - यहीं स्टेशन के सटे झुग्गी में रहने लगी। यहीं राजेश्वर यादव से शादी कर ली। वर्ष 2012 में उसके पति की मौत जहरीली शराब पीने से हो गई। बीपीएल नहीं है मेनका परवरिश योजना के तहत अनाथ बच्चों के लिए सरकार सहायता राशि देती है। बच्चों को प्रतिमाह एक हजार रुपए देने का प्रावधान है। शर्त बीपीएल होना है। परंतु मेनका का नाम बीपीएल सूची में नहीं है। जिससे उसके बेटे को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा। भोजपुर जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष कुमारी सुनिता सिंह ने बताया कि बच्चे के संदर्भ में हमें कोई जानकारी नहीं है। यदि उसके पालनहार परवरिश का लाभ पाने की पात्रता संबंधी कागजात, सक्षम पदाधिकारी द्वारा सत्यापित आय प्रमाण-पत्र या बीपीएल सूची लाएंगे तो उसे परवरिश का लाभ दिलाया जाएगा।