1981 का वह रेल हादसा : आज भी जब आती है याद तो कांप जाती है रूह

रिपोर्ट: ramesh pandey

नयी दिल्ली : आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के कुनेरू स्टेशन के पास जगदलपुर-भुवनेश्वर हीराखंड एक्सप्रेस का इंजन और 7 डिब्बे पटरी से बीती रात उतर गए. इस हादसे में अब तक 36 लोगों की मौत हो गई है. कुछ दिन पहले ही कानपुर के पास पुखरायां में 21 नवंबर को इंदौर-पटना एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर आई थी जिसमें करीब 150 लोगों की जान चली गई थी. इन हादसों से एक बार फिर भारतीय रेल की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं. ट्रेन दुर्घटनाओं ने वर्ष 1981 की याद दिला दी है. आइए वर्ष 1981 से लेकर अब तक हुई बड़ी ट्रेन दुर्घटनाओं पर नजर डालें, लेकिन इससे पहले हम देश के सबसे बड़े रेल हादसे के संबंध में कुछ जान लें. 06 जून, 1981 का वह दिन आज भी इतिहास के पन्नों पर दर्ज है जिसको याद करने के बाद रूह कांप जाती है. 'जी हां' यह देश का सबसे बड़ा रेल हादसा था, जिसमें करीब 800 लोग काल के गाल में समा गए थे. 6 जून 1981 का वह दिन ट्रेन बिहार के मानसी से सहरसा जा रही थी. ट्रेन में काफी भीड़ थी और लोग घर जल्दी पहुंचना चाहते थे, लेकिन उन्हें जरा भी अहसास नहीं था कि उनके लिए यह यात्रा अंतिम यात्रा होने वाली है. मॉनसून का महीना था और ट्रेन अपनी रफ्तार से दौड़ रही थी कि तभी अचानक ट्रेन के ड्राइवर ने ब्रेक लगा दिया जिसके बाद पैसेंजर ट्रेन की सात बॉगियां पुल से बागमती नदी में गिर गयीं. ट्रेन बागमती नदी को पार कर रही थी. हादसे के दौरान 300 लोगों की मौत हो गयी लेकिन कई लोगों का शव कई दिनों तक बोगियों में फंसा रहा. इस हादसे में मरने वालों की सरकारी आंकड़े के अनुसार संख्या 300 थी, लेकिन बाद में रेलवे के दो अधिकारियों ने जानकारी दी थी कि हादसे में 800 से 1000 के करीब लोग मारे गए. इस हादसे को देश के सबके बड़े रेल हादसे के रूप में याद किया जाता है. यही कारण है कि जब भी कोई रेल हादसा होता है तो 6 जून 1981 का काला दिन स्वत: स्मृति में आ जाता है. हालांकि ड्राइवर ने ब्रेक क्यों लगाया था इसका खुलासा नहीं हो पाया है. कुछ लोग कहते हैं कि जब ट्रेन बागमती नदी को पार कर रही थी तभी ट्रैक पर गाय आ गयी थी जिसे बचाने के चक्कर में ड्राइवर ने ब्रेक मारी थी. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि बारिश तेज थी जिसके कारण लोगों ने ट्रेन की सभी खिड़कियों को बंद कर दिया और तेज तूफान होने की वजह से पूरा दबाव ट्रेन पर पड़ा और बोगियां नदी में समा गयी. बहरहाल वजह जो भी रही हो लेकिन वह दिन आज भी लोगों के जेहन में समाया हुआ है. कुछ बड़े रेल हादसे 28 मई, 2010 : पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में नक्सली हमले में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से उतरी. 148 लोगों की मौत. 09 सिंतबर, 2002 : बिहार के औरंगाबाद जिले में हावड़ा-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस के 14 डिब्बे धावी नदी में गिरे, 100 लोगों की मौत हो गयी. 02 अगस्त, 1999 : असम के गायसल में 2,500 यात्रियों को लेकर जा रही दो ट्रेनें आपस में टकरायीं. 250 लोगों की मौत हो गयी. 26 नवंबर, 1998 : पंजाब के खन्ना में जम्मू-तवी-सियालदा एक्सप्रेस फ्रंटियर मेल दुर्घटनाग्रस्त. 212 लोगों की मौत हो गयी. 14 सितंबर, 1997 : मध्य प्रदेश के बिलासपुर में अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस के पांच डिब्बे नदी में गिरे, 81 लोगों की मौत. 20 अगस्त, 1995 : यूपी के फिरोजाबाद में पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ने कालिंदी एक्सप्रेस को टक्कर मारी. 400 लोगों की मौत हो गयी. 18 अप्रैल, 1988 : यूपी के ललितपुर के पास कर्नाटक एक्सप्रेस पटरी से उतरी. 75 लोगों की मौत. 08 जुलाई, 1988 : केरल में आइलैंड एक्सप्रेस अशतामुदी झील में गिरी. 107 लोगों की मौत. 06 जून, 1981 : बिहार में तूफान के कारण ट्रेन बागमती नदी में जा गिरी. 800 के करीब मौत.


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